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कचूर
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कचूर - संज्ञा, पु० दे० (सं० कर्पूर) हलदी की जाति का एक पौधा जिसकी जड़ में सुगंधि होती है, नरकचूर, कचुल्ला, कटोरा । कचोरा (दे० ) । नयन कचूर भरे जनु मोती ".
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- प० ।
कचाना - स० क्रि० ( हिं० कच - धँसने का शब्द ) चुभाना, धँसाना, कोंचना । कचोरा* संज्ञा, पु० ( हि० काँसा + ओरा - प्रत्य० ) कटोरा प्याला ( स्त्री० कचोरी, कटोरी ) |
कचौरी ( कचौड़ी) --संज्ञा, स्त्री० ( हि० कचरी ) उरद की पीठी भरी हुई एक प्रकार की पूरी ।
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कच्चा - वि० दे० (सं० कषण ) जो पका न हो, हरा और बिना रस का, अपक, जो आँच पर न पकाया गया हो, जो पुष्ट न हो, जिसके तैय्यार होने में कुछ कसर हो, हद, कमजोर, प्रौढ़ । स्त्री० कच्ची । मु० - कच्चे जो (दिल) का - कमज़ोर दिल का, डरपोक, कमहिम्मती, घबड़ाने वाला । कच्चा करना- कपड़े में साधारण रूप से तागा डालना, डराना, भयभीत करना, शरमाना | कच्ची खाना - हारना, हतोत्साह होना । कच्ची जवान बोलना -- अनादर-सूचक शब्दों का प्रयोग करना, गाली देना, शिष्ट शब्द कहना । कच्चीपक्की बात कहना -- झूठ-सच कहना, इधर-उधर की, भली-बुरी, खोटी-खरी कहना | कच्चा चिट्ठा रखना - चरित्र का
नग्न रूप रखना, गुप्त रहस्य प्राप्त करना । कच्चा खेल खेलना -- गड़बड़, असफल प्रयत्न करना, दिखावटी काम करना कच्चा पड़ना-झूठा ठहरना, संकुचित होना, ग़लत साबित होना । प्रमाणिक तौल या माप से कम, अपरिपक्क, अपटु, नाड़ी । संज्ञा० पु० कपड़े में दूर दूर पर पड़े हुये तागे या डोभ, ढाँचा, ख़ाका, ढड्ढा, मसविदा, जबड़ा, दाढ़, कच्चा पैसा ।
कच्छप
कच्चा चिठ्ठा संज्ञा, पु० यौ० (दे० ) ज्यों वृत्तान्त, गुप्तभेद, रहस्य ।
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कच्चा माल - संज्ञा, पु० ( दे० ) यौ०वह द्रव्य जिससे व्यवहार की चीजें बने, सामग्री, जैसे रुई, तिल ।
कच्चा हाथ - संज्ञा, पु० यौ० (दे० ) अनभ्यस्त हाथ, काम में न बैठा हुआ हाथ । कच्ची - वि० स्त्री० ( हि० कच्चा ) कच्चा | संज्ञा, स्त्री० (दे० ) जल में पकाया भोजन, कवी रसोई। मुहा० कच्ची खाना
हारजाना ।
कच्चो चोनी-संज्ञा स्त्री० (दे० ) बिना साफ़ की हुई चीनी । कन्चो शकर,
– खाँड़ ।
कच्चो वही संज्ञा स्त्री० (दे० ) जो हिसाब निश्चित नहीं है उसके लिखने की बही । कच्ची सड़क - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) बिना कंकड़ कुटी सड़क | कच्ची सिलाई - संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) दूर दूर पर पड़ा हुआ तागा, डोभ, लंगर । कच्चू -- संज्ञा, पु० दे० (सं० कंचु ) अरुई, इयाँ, बंडा ।
कच्चे-पक्के दिन -संज्ञा, पु० (दे० ) चारया ५ माह का गर्भ काल, दो ऋतुयों का संधि-दिन |
कच्चे बच्चे सज्ञा, पु० यौ० ( हि० छोटे छोटे बच्चे, बाल-बच्चे । कच्छ संज्ञा, पु० (सं० ) जलप्राय देश, अनूप देश, नदी तट की भूमि, कछार, छप्पय का एक भेद, गुजरात के समीप का देश | संज्ञा, पु० (सं० कक्ष ) धोती की लाँग | संज्ञा, पु० (सं० कच्छप ) - कछुआ | वि० कच्छी - कच्छ देश का । संज्ञा, पु०कच्छ का घोड़ा ।
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कच्छप - संज्ञा, पु० (सं० ) कछुआ, के २४ अवतारों में से एक, निधियों में से एक, दोहे मदिरा खींचने का एक यंत्र,
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विष्णु कुबेर की नव का एक भेद, तालू का एक