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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कचूर ३८३ कचूर - संज्ञा, पु० दे० (सं० कर्पूर) हलदी की जाति का एक पौधा जिसकी जड़ में सुगंधि होती है, नरकचूर, कचुल्ला, कटोरा । कचोरा (दे० ) । नयन कचूर भरे जनु मोती ". SC - प० । कचाना - स० क्रि० ( हिं० कच - धँसने का शब्द ) चुभाना, धँसाना, कोंचना । कचोरा* संज्ञा, पु० ( हि० काँसा + ओरा - प्रत्य० ) कटोरा प्याला ( स्त्री० कचोरी, कटोरी ) | कचौरी ( कचौड़ी) --संज्ञा, स्त्री० ( हि० कचरी ) उरद की पीठी भरी हुई एक प्रकार की पूरी । ---- कच्चा - वि० दे० (सं० कषण ) जो पका न हो, हरा और बिना रस का, अपक, जो आँच पर न पकाया गया हो, जो पुष्ट न हो, जिसके तैय्यार होने में कुछ कसर हो, हद, कमजोर, प्रौढ़ । स्त्री० कच्ची । मु० - कच्चे जो (दिल) का - कमज़ोर दिल का, डरपोक, कमहिम्मती, घबड़ाने वाला । कच्चा करना- कपड़े में साधारण रूप से तागा डालना, डराना, भयभीत करना, शरमाना | कच्ची खाना - हारना, हतोत्साह होना । कच्ची जवान बोलना -- अनादर-सूचक शब्दों का प्रयोग करना, गाली देना, शिष्ट शब्द कहना । कच्चीपक्की बात कहना -- झूठ-सच कहना, इधर-उधर की, भली-बुरी, खोटी-खरी कहना | कच्चा चिट्ठा रखना - चरित्र का नग्न रूप रखना, गुप्त रहस्य प्राप्त करना । कच्चा खेल खेलना -- गड़बड़, असफल प्रयत्न करना, दिखावटी काम करना कच्चा पड़ना-झूठा ठहरना, संकुचित होना, ग़लत साबित होना । प्रमाणिक तौल या माप से कम, अपरिपक्क, अपटु, नाड़ी । संज्ञा० पु० कपड़े में दूर दूर पर पड़े हुये तागे या डोभ, ढाँचा, ख़ाका, ढड्ढा, मसविदा, जबड़ा, दाढ़, कच्चा पैसा । कच्छप कच्चा चिठ्ठा संज्ञा, पु० यौ० (दे० ) ज्यों वृत्तान्त, गुप्तभेद, रहस्य । व Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कच्चा माल - संज्ञा, पु० ( दे० ) यौ०वह द्रव्य जिससे व्यवहार की चीजें बने, सामग्री, जैसे रुई, तिल । कच्चा हाथ - संज्ञा, पु० यौ० (दे० ) अनभ्यस्त हाथ, काम में न बैठा हुआ हाथ । कच्ची - वि० स्त्री० ( हि० कच्चा ) कच्चा | संज्ञा, स्त्री० (दे० ) जल में पकाया भोजन, कवी रसोई। मुहा० कच्ची खाना हारजाना । कच्चो चोनी-संज्ञा स्त्री० (दे० ) बिना साफ़ की हुई चीनी । कन्चो शकर, – खाँड़ । कच्चो वही संज्ञा स्त्री० (दे० ) जो हिसाब निश्चित नहीं है उसके लिखने की बही । कच्ची सड़क - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) बिना कंकड़ कुटी सड़क | कच्ची सिलाई - संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) दूर दूर पर पड़ा हुआ तागा, डोभ, लंगर । कच्चू -- संज्ञा, पु० दे० (सं० कंचु ) अरुई, इयाँ, बंडा । कच्चे-पक्के दिन -संज्ञा, पु० (दे० ) चारया ५ माह का गर्भ काल, दो ऋतुयों का संधि-दिन | कच्चे बच्चे सज्ञा, पु० यौ० ( हि० छोटे छोटे बच्चे, बाल-बच्चे । कच्छ संज्ञा, पु० (सं० ) जलप्राय देश, अनूप देश, नदी तट की भूमि, कछार, छप्पय का एक भेद, गुजरात के समीप का देश | संज्ञा, पु० (सं० कक्ष ) धोती की लाँग | संज्ञा, पु० (सं० कच्छप ) - कछुआ | वि० कच्छी - कच्छ देश का । संज्ञा, पु०कच्छ का घोड़ा । AT THE CENTER IN कच्छप - संज्ञा, पु० (सं० ) कछुआ, के २४ अवतारों में से एक, निधियों में से एक, दोहे मदिरा खींचने का एक यंत्र, For Private and Personal Use Only विष्णु कुबेर की नव का एक भेद, तालू का एक
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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