________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-
-
एकादिक्रम मास के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं एकोतरा-वि० ( दे.) एक दिन छोड़ कर तिथि, जो व्रत का दिन है, हरि-वासर। | आने वाला, इकतरा, अतरा ( दे०)। संज्ञा, एकादिक्रम-वि० (सं० एक + आदि + पु० (दे० ) रुपये सैकड़े व्याज । क्रम -- अल् ) भानुपूर्विक, अनुक्रम, क्रमिक । एकोदिष्ट-संज्ञा, पु० (सं० ) एक पितृ के एकाधिपति--संज्ञा, पु. (स०) चक्रवर्ती, लिये वर्ष में एक ही बार किया जाने वाला सम्राट । संज्ञा, पु० (सं० ) एकाधिपत्य --- | श्राद्ध कर्म । पूर्णप्रभुत्व ।
एकौ-वि० ( दे०) एक भी, कोई भी, एकायन---वि० (सं०) एक मति, एक मार्ग, | अनिश्चित व्यक्ति । एक विषयासक्त।
। एकौझा*--वि० (दे० ) अकेला, एकाकी । एकार्णव-संज्ञा, पु० (सं०) एकाकार समुद्र। एको तना....स० क्रि० (दे० ) धान-गेहूँ में एकाथ-वि० (सं० ) एक अर्थ वाला, बाल निकलना, (दे० )। क्रि० वि० एक
समानार्थ। वि० (सं०) एकार्थक, एकायों। प्रकार भी। एकावलो-सज्ञा, स्त्री० (सं०) एक अलंकार एका-वि० ( हि० एक -का--प्रत्य० ) एक जिसमें पूर्व और पूर्व के प्रति उत्तोत्तर वस्तुओं से सम्बन्ध रखने वाला, अकेला । यौ० का विशेषण भाव से स्थापन अथवा निषेध एक्कादुक्का---अकेला दुकेला। संज्ञा, पु. प्रगट किया जाय, एक प्रकार का छंद-पंकज ( दे० ) झंड छोड़ कर अकेला फिरने वाला वाटिका, एक लड़ी की माला या एक- पशु या पक्षी, एक दोपहियों कीघोड़ा-गाड़ी, लरा हार।
बड़े बड़े काम अकेले ही करने वाला सिपाही एकाश्रित--ति० (सं.) एक ही पर ताश या गंजीफे में एक ही बूटी का पत्ता, आधारित रहने वाला।
एक्की । एकाह-वि० (सं० ) एक दिन में पूर्ण एकावान --संज्ञा, पु. ( हि. एका - वानहोने वाला, एकाह पाठ ।
प्रत्य०) एक्का हांकने वाला। संज्ञा, स्त्री० एकाहिक-वि० (सं० एक + अ +इक) एक |
एकावानी। साध्य, प्रति दिन उत्पत्तिशील । जैसे | एको-संज्ञा, स्त्री० ( हि० एक ) देखो एकहिक ज्वर।
"एक्का '। एकीकरण-संज्ञा, पु० । सं० ) मिला कर एक्यानबे--वि० (सं० एकनवति, प्रा० एकाउइ) एक करना । वि० एकीकृत।
नब्बे और एक ११ । संज्ञा, पु. ६० और १ एकोभाव----संज्ञा, पु. (सं० ) मिलाना, | की बोधक संख्या या अंक ।। एकत्र करण।
एक्यावन—वि० दे० (सं० एक पंचाशतएकोभूत-वि० (सं०) मिला हुआ, मिश्रित, प्रा.एक्कावन्न ) पचास और एक । संज्ञा, मिल कर एक हुआ।
पु. ५० और १ का बोधक अंक । एकंद्रिय- संज्ञा, पु० (सं० ) उचितानुचित, । एक्यासी-वि० दे० (सं० एकाशीति प्रा० दोनों प्रकार के विषयों से इंद्रियों को | एकासि ) अस्सी और एक ८१ । संज्ञा, पु. हटा कर अपने मन में ही लीन करने वाला | ८० और १ का सूचक अंक । (सांख्य )।
| एखनी-संज्ञा, स्त्री० (फ़।०) मांस का रसा, एकैक-वि० (सं० एक-- एक ) प्रत्येक। । शोरबा। एकोतरसौ–वि. ( सं० एकोत्तरशत ) एक | एड़--संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० एडूक ) एड़ी, सौ एक।
घोड़ा चलाने का कांटा।
For Private and Personal Use Only