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ऊपर
ऊपर - क्रि० वि० दे० (सं० उपरि ) ऊँचे स्थान पर, उँचाई पर, श्राकाश की ओर, आधार पर, सहारे पर, उच्च श्रेणी पर, ( लेख में ) प्रथम, पहिले, अधिक, ज्यादा, प्रगट में, देखने में, तट पर, अतिरिक्त, परे, प्रतिकूल ।
मु०
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० ऊपर ऊपर चुपके से, बिना किसी के जताये । ऊपर की आमदनी - इधरउधर से फटकारी हुई रकम, बाहिरी श्राय, नियंत श्रय के अतिरिक्त, अन्य साधनों ( द्वारों ) से प्राप्त । ऊपर - तले-आगेपीछे, एक के बाद एक, क्रमशः । ऊपरतले के—वे दो बच्चे (लड़के या लड़कियाँ) जिनके बीच में और कोई बच्चा न हो । ऊपर लेना ( अपने ) - ज़िम्मे लेना, हाथ में लेना । ऊपर से आकाश या ऊँचे से, इसके अतिरिक्त, वेतन से अधिक, बाहर से घूस के रूप में, प्रत्यक्ष में, दिखाने के लिये, प्रगट रूप में।
ऊपरी - वि० ( हि० ) ऊपर का, बाहिरी, बँधे हुए के सिवा, नुमाइशी, दिखावटी, विदेशी, पराया ।
ऊब – संज्ञा, स्त्री० ( हि० ऊबना ) कुछ समय तक एक ही दशा में रहने से चित की खिन्नता, उद्वेग, घबराहट, श्राकुलता, उद्विग्नता । ( हि० ऊभ ) उत्साह, उमंग | ऊबट - संज्ञा, पु० दे० (सं० उत्= बुरा + वर्त्म -- बट्ट = प्रा० मार्ग ) कठिन मार्ग,
अटपट रास्ता ।
ऊबड़-खाबड़ -- वि० ( अनु० ) ऊँचा - नीचा, घटपट, विषम ऊबना–अ० क्रि० दे० (सं० उद्व ेजन )
I
उकताना, घबराना, अकुलाना ।
ऊभ*~वि० दे० (हि० उभना खड़ा होना ) ऊँचा, उभड़ा हुआ, उठा हुआ । संज्ञा, स्त्री० ( हि० ऊब ) व्याकुलता, उमस, हौसला, उमंग । क्रि० प्र० ऊमना - (सं० उद्भवन ) उठना, ऊबना, खड़ा होना। " ऊभी चाम
" क० ।
चटाय
ऊर्ध्वतिक
ऊमक* —संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० उमंग ) झोंक, उठान, वेग ।
ऊमर (ऊमरि) संज्ञा, पु० दे० ( उडुम्बर ) गूलर |
ऊरज - वि० पु० (सं० ऊर्ज ) बल, शक्ति । ऊरध* - वि० दे० ( सं० ऊर्ध्व ) ऊर्ध्व,
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ऊपर, उच्च।
ऊमस संज्ञा, स्त्री० (दे० ) उमस, गरमी । ऊरू-संज्ञा, पु० (सं० ) जानु, जंघा । यौ० ऊरुस्तंभ-पैर जकड़ जाने का एक बात रोग ।
ऊर्ज - वि० (सं० ) बलवान, शक्तिमान । संज्ञा, पु० (सं०) बल, शक्ति, कार्तिक मास, एक प्रकार का अलंकार जिसमें सहायकों के घटने पर भी गर्व के न छोड़ने का कथन किया जाय । वि० ऊर्जस्वी । ऊर्जस्वल - वि० (सं० ऊर्जस + वल् ) अति शक्तिशाली ।
ऊर्जस्वी- वि० (सं० ऊर्जस् + विन्) उग्र, अतिवली, प्रतापी, तेजस्वी | संज्ञा, पु० (सं० ) एक अलंकार जो वहाँ होता है जहाँ भाव या स्थायी भाव का रसाभास या भावाभास अंग हो ( काव्य ० ) । ऊर्ण – संज्ञा, पु० (सं० ) भेड़ या बकरी के बाल, ऊन । यौ० संज्ञा, पु० (सं० ) ऊर्णनाभ - मकड़ी, रेशम कीट । ऊर्ध्व क्रि० वि० (सं०) ऊपर, ऊरध ( दे० ) ऊर्णायु -- संज्ञा, पु० (सं० ) ऊनीवस्त्र, कंबल । वि० ऊपरी, ऊर्ध, ऊँचा, खड़ा | संज्ञा, पु० ऊपर का भाग ।
यौ० (सं० ) मुक्ति,
ऊर्ध्वगति – संज्ञा, स्त्री० ऊपर की ओर गति । ऊर्ध्वगामी – वि० (सं० ) ऊपर को जाने वाला, मुक्त, निर्वाण प्राप्त । ऊर्ध्वचरण – संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) शीर्षा
सान, शीर्षासन किए हुए तपस्या करने वाले साधु । ऊर्ध्वतिक्त-संज्ञा, पु० (सं० ) चिरायता ।
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