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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - उपचरित ३३२ उपशा उपचरित–संज्ञा, पु० (सं० उप---चर् - क्त) उपज-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० उपजना) उपासित, सेवित, पाराधित, लक्षण से उत्पत्ति, उद्भव, पैदावार, ( खेत की उपज ) जाना हुआ। नई उक्ति, उद्भावना, सूझ, मनगढन्त बात, उपचर्या-संज्ञा स्त्री० (सं० उप + चर् + गाने में राग की सुन्दरता के लिये उसमें क्यप् ) चिकित्सा, रोगों का उपशम, प्रति- बँधी हुई तानों के सिवा अपनी ओर से कार, सुश्रूषा। कुछ तानों का मिला देना, स्फूर्ति, स्फुरण । उपचार-संज्ञा, पु० (सं० उप---चर् +घञ्)| उपजना-(अ० कि० (दे०) (सं० उत्पव्यवहार, प्रयोग, विधान, उपाय, चिकित्सा द्यते, प्रा. उप्पज्जते ) उत्पन्न होना, पैदा दवा, इलाज, सेवा, तीमारदारी, धर्मानुष्ठान होना, उगना, अंकुरित होना। उपकरण, पूजन के अंग या विधान जो उपजाऊ-वि० दे० ( हिं० उपज । पाऊमुख्यतः सोलह माने गये हैं (षोडशोपचार) प्रत्य० ) जिसमें अच्छी और अधिक उपज खुशामद, घूस, रिशवत, दिखावा, उपक्रम, हो, उर्वर, (भूमि ) जरखेज़ । उत्कोच, विसर्ग के स्थान पर स या श हो | उपजाति-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) इंद्रवज्रा जाने वाली सन्धि विशेष, जैसे—निश्छल, और उपेन्द्रवज्रा, तथा इंद्रवंशा और वंशस्थ निःछल । “ जेते उपचारु चारु मंजु सुखदाई | के मेल से बनने वाले वर्णिक ( गणात्मक) हैं "-ऊ. श. "..... उपचारः कैतवं । वृत्त । " स्यादिन्द्रवत्रा यदितौ जगा भवति-" उपेन्द्रवज्रा जतजस्त ततोगी । अनन्तरो उपचारक-वि० (सं०) उपचार या सेवा दीरित लक्ष्मभाजी पादौ यदीयाउपज करने वाला, विधान करने वाला, चिकित्सा तयस्ताः "-- करने वाला। उपजाना-स० कि० दे० (हिं० उपजना का उपचारित-वि० (सं० ) उपचार किया सं० रूप) उत्पन्न करना, पैदा करना, उगाना। हुआ, जिसका उपचार किया गया हो। "भलेहु पोच विधि जग उपजाये''-रामा० । उपचारछल-संज्ञा, पु० यौ० ( स० ) वादी के कहे हुए वाक्य में जान-बूझ कर अभिप्रेत उपजित -- वि० ( दे० ) उत्पन्न हुआ, अर्थ से भिन्न अर्थ की कल्पना करके दषण उपजा हुआ। निकालना। उपजिह्वा-संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) छुद्र जीभ, उपचारना* -- सं० क्रि० (दे० ) व्यवहार __ छोटी जीभ । में लाना, विधान करना, काम में लाना, उएजोवन--संज्ञा पु. ( सं० ) जीविका, प्रयोग करना। रोज़ी, निर्वाह के लिये किसी अन्य व्यक्ति उपचारी-वि० (सं० उपचारिन ) उपचार का अवलम्बन । वि०-उपजीवक (सं.) करने वाला, चिकित्सा करने वाला। स्त्री० उपजीविका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) जीविका, उपचारिणी। उपचित-वि० (सं० उप + चि+क्त) समृद्ध, वृत्ति, जोवनोपाय अवलम्ब ।। वर्धित, संचित, इकठ्ठा । संज्ञा, पु० (सं० ) उपजीवी-वि० (सं० ) दूसरे के सहारे पर उपचयन - वि० उपचयनीय। गुज़र करने वाला। यौ० परभाम्योपजीवी उपचित्र-संज्ञा, पु० (सं० ) एक वर्द्धि -अन्याश्रित व्यक्ति । समवृत्त । उपज्ञा-ज्ञा, स्त्री. (सं०) प्रथम ज्ञान, उपचित्रा—संज्ञा, स्त्री० (सं०) १६ मात्राओं उपदेश के बिना ईश्वरदत्त पूर्वज्ञान, का एक छंद। श्राद्यज्ञान। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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