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उद्भेद ३२६
उद्वाह्य उद्भेद-संज्ञा, पु. (सं० ) फोड़कर निक- उद्योत-संज्ञा, पु० (सं० ) प्रकाश, उजाला, लना, (पौधों के समान ) प्रकाशन, प्रगट चमक, झलक, श्राभा, आलोक, उदोत होना, उद्घाटन, एक प्रकार का अलंकार (दे०)। वि. उद्यातित-प्रकाशित, प्रदीस। जिसमें कौशल या चतुराई से छिपाई हुई उद्र- संज्ञा, पु० (सं० ) ऊदबिलाव, जल किसी बात का किसी हेतु से प्रकाशित या की बिल्ली। संज्ञा, पु० ( दे० ) उदर लक्षित होना कहा जाय । ( प्राचोन० )। । (सं०) पेट । उद्भेदन संज्ञा, पु० ( स० ) तोड़ना, उद्रिक्त-वि० (सं० ) स्फुट, स्पष्ट व्यक्त फोड़ना, छेद कर पार जाना या निकलना : परि छ । स्त्री०-उद्विक्ता । वि० उद्भेदनीय, उद्भिन्न।
उद्रेक-संज्ञा, पु० (सं०) बढ़ती, अधिकता, उद्भ्रान्त - वि० (सं०) घूमता या चक्कर वृद्धि, ज्यादती, उपक्रम, उत्थान, प्रकाश, लगाता हुश्रा, भूला या भटका हुआ, प्रारंभ, एक प्रकार का काव्यालंकार जिसमें चकित, भौचका, भ्रांति-युक्त, भ्रमित । वस्तु के कई गुणां या दोषों का किसी एक उद्यत-वि० (सं० उत् + यम् + क्त) तत्पर, गुण या दोष के आगे मंद पड़ जाना कहा प्रस्तुत, उतारू, मुस्तैद, तैय्यार, उठाया जाता है (प्राचीन)। हुआ, ताना हुआ।
उद्वह-संज्ञा, पु० (सं०) पुत्र, बेटा, लड़का, उद्यम-संज्ञा, पु० (सं० उत्+यम् + अल्) "एक वीराच कौशल्या तस्या पुत्रो खूद्वहः" उद्योग, उत्साह, प्रयास, प्रयत्न, अध्यवसाय, -के० । तृतीपस्कंध पर रहने वाली वायु, मेहनत, काम-धान्धा, रोज़गार । उद्दिम सात वायुयों में से एक, । स्त्री. उद्वाहा । (दे०) व्यापार ।
उद्वहन-- संज्ञा, पु० (सं० ) ऊपर खींचना, उद्यमी-वि० (सं० ) उद्यम करने वाला, उठना, विवाह। ' उद्योगी, प्रयत्नशील "पुरुष सिंह जो उद्यमी, उद्वासक--वि. (सं० ) उजाड़ने वाला, लक्ष्मी ताकी चेरि"।
भगाने वाला। उद्यान - संज्ञा, पु. ( सं० उत्। या-|- अनट्) उद्वासन-संज्ञा, पु० (सं० ) स्थान छुड़ाना, बाग़, बागीचा, क्रीडावन, उपवन, आराम । भगाना, उजाड़ना, मारना, वध, वास-स्थान यौ० उद्यानपाल-संज्ञा, पु. ( सं० ) नष्ट करना, खदेड़ना । वि० उद्वासनीय । माली, बाग़वान।
उद्वासित-वि० (सं०) उजाड़ा हुआ, उद्यापन-संज्ञा, पु. (सं० उत् + या-- खदेड़ा हुथा। णिच-+मनट ) किसी व्रत की समाप्ति पर उद्वास्य-वि० ( सं० ) उदासनीय, उजाड़ने किया जाने वाला कृत्य, जैसे हवन, गोदान योग्य । प्रादि, समापन क्रिया।
उद्वाह-संज्ञा, पु. ( सं० ) विवाह । उद्युक्त-वि० (सं० उत् + युज् + क्त) उद्वाहन-- संज्ञा, पु० (सं० ) ऊपर ले जाना,
उयमयुक्त, उद्योग में लीन, तत्पर, बलवान उठाना, ले जाना, हटाना, विवाह । वि. उद्योग-संज्ञा, पु० (सं० उत् + युज्+घञ् ) उद्वाहनीय। प्रयत्न, चेष्टा, प्रयास, अध्यवसाय, परिश्रम, उद्वाहित-वि० सं०)विवाहित, उठाई हुई। आयोजन, उपाय, मेहनत, उद्यम काम उद्वाही-वि० (सं०) उपर ले जाने वाला, धंधा, उत्साह ।
उठाई हुई। उद्योगी-वि० (सं०) उद्योग करने वाला, उद्वाह्य- वि० (सं.) उठाने योग्य, मेहनती, यत्नवान्, उत्साही, परिश्रमी। उद्वाहनीय ।
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