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उद्भूत
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उद्धव-संज्ञा, पु. (सं०) उत्सव, यज्ञ अनट् ) स्मरण, चेत, ज्ञापन, ज्ञान, जगाना
की अग्नि, आमोद प्रमोद, श्रीकृष्णजी के एक समझाना, उत्तेजित करना, बोध कराना, मित्र, ऊधव, ऊधौ (दे०)।
चेताना । वि० उदबोधनीय । उद्धार-संज्ञा पु० ( सं० ) मुक्ति, छुटकारा, उद्बोधित-वि० ( स०) जिसे बोध कराया निस्तार, सुधार, बचाव, रतण, मोचन,
| गया हो, सचेत । उन्नति, दुरुस्ती, ऋण से मुक्ति, बिना व्याज | उद्बाधिता - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) उपपति या के दिया हुआ ऋण ।
परपुरुष के चतुराई-डारा प्रगटित प्रेम को उद्धारना*-स० कि० दे० (सं० उद्वार ) | जान कर प्रेम करने वाली परकीया नायिका । उद्धार करना, छुटकारा देना, मुक्त करना, | उद्भट वि० (रु.) प्रबल उदार श्रेष्ठ, उधारना (दे० ) अलग करना, काढ़ना, प्रचंड, उच्चाशय । सज्ञा, पु० (सं० ) एक उबारना।
विद्वान् श्राचार्य और कवि जिन्होंने काव्यउदश्वस्त-वि० (सं०) टूटा-फूटा, ध्वस्त नष्ट।
शास्त्र का एक प्रसिद्ध ग्रंथ लिखा। उद्धृत-वि० (सं०) उद्धारित, रतित. उद्भव-संज्ञा, पु० (सं० उत् + भू+अल् ) उगला हुआ, ऊपर उठाया हुआ, किसी उत्पत्ति, जन्म, प्रादुर्भाव, वृद्धि. बढ़ती, ग्रंथ से ज्यों का त्यों लिया हुश्रा, किसी स्थान | पैदाइश, उन्नति “ उद्भव स्थिति संहारसे अविकल रूप से नकल किया हुआ।
कारिणीम् रामा। उदबंधन-संज्ञा, पु० (सं० ) ऊपर बाँधना। उद्भावना-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) कल्पना, गले में रस्सी लगाना, फांसी देन , टाँगना,
मन की उपज, उत्पत्ति, प्रकाश । वि० उभायो० उदबंधन-मृत-वि० (सं० ) फांसी
वनीय । वि० उभावित । पाया हुआ. गले में रस्सी डाल कर मारा उद्भास-संज्ञा, पु० (सं० ) प्रकाश, दीप्ति, हुआ।
श्राभा, मन में किसी बात का उदय, उद्वाह-संज्ञा, पु० । सं० उद् + वह
प्रतीति । घ) विवाह, परिणय, दार क्रिया। यो० ।
उद्भासित-वि० (सं०) उत् +भास+क) उद्वाहोपयुक्त-वि० ( सं० ) परिणय
उत्तेजित, उद्दीप्ति. प्रकाशित, प्रकट, विदित,
प्रदीप्त । योग्य, वयस्क।
उद्भिज-संज्ञा, पु० ( सं० ) उद्भिज्ज, वृक्ष, उदबुद्ध-वि० (सं० ) विकसित, फूला लतादि। हुश्रा, प्रबुद्ध, चैतन्य, जिसे ज्ञान हा गया उद्भिज्ज-संज्ञा, पु. (सं० ) वृक्ष, लता, हो, जागा हुआ।
गुल्म, वनस्पति, श्रादि जो भूमि को फोड़कर उदबुद्धा-सज्ञा, स्त्री. (सं० ) अपनी ही निकलते हैं, पेड़-पौधे । इच्छा से उपपति या पर पुरुष से प्रेम करने | उद्भिद - संज्ञा, पु० (सं० उत् + भिद् + किप ) वाली परकीया नायिका।।
वृक्ष, लता वनस्पति श्रादि । वि० अंकुरित, उद्बोध-संज्ञा, पु. (सं०) थोड़ा ज्ञान, विकसित । यौ० उद्भिदविद्या-संज्ञा, स्त्री० अल्प बोध ।
(सं० ) वृतादि लगाने की कला। ..... उद्बोधक-वि० (सं.) बोध कराने वाला, उद्भिन्न - वि० (सं० उत् + भिद् + क )
चेताने वाला, प्रकाशित. प्रगट या सूचित भेदित, विद्ध. फोड़ा हुआ, उत्पन्न । ...... करने वाला, जगाने वाला उत्तेजित करने उदभू-वि० (सं० उत् + भू+क्त.) उत्पन्न, वाला।
निकला हुआ ।.यौ० उद्धृतरूप वि० (सं०:) उदोधन-संज्ञा, पु. ( सं० उत् + बुध् + । प्रत्यक्षरूप, दृग्गोचर होने-योग्य रूपः।.....
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