Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 433
________________ ४२२ सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रे एकस्य च मुहूर्त्तस्य सप्तदश द्वाषष्टिभागाः । अत उपपद्यते मूलोक्तस्याभिवर्द्धितसंवत्सरस्य परिमाणम् 'ता एकतीस राईदियाई एगूणतीसं च मुहुत्ता सत्तरसवावद्विभागे मुहुत्तस्स राईarohi आहए विज्जा' इति ॥ अथ मुहूर्त्ता पृच्छति - 'ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहिति वज्जा' तावत् सः खलु कियता मुहूर्त्ताग्रेण आख्यात इति वदेत् ॥ - तावदिति पूर्ववत् सः -पूर्वोदितोऽभिवर्द्धिताख्यो मासः खलु कियता मुहूर्त्ताग्रेण - मुहूर्त्तपरिमाणेन आख्यात इति वदेत् कथय भगवन्निति गौतमस्य प्रश्नस्ततो भगवानाह - ' ता व एगूणसट्टे मुहुत्तसए सत्तरसबावद्विभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहिएत्ति वएज्जा' तावत् नवएकोनषष्टिमुहूर्त्तशतानि सप्तदशद्वापष्टिभागा मुहूर्त्तस्य मुहूर्त्ताग्रेण आख्यात इति वदेत् ॥ - तावदिति पूर्ववत् अभिवर्द्धिताख्यो मासः खलु नवैकोनषष्टिमुहूर्त्तशतानि - एकोनषष्ट्यधिकानि नव शतानि मुहूर्त्तानाम् (९५९) एकस्य च मुहूर्त्तस्य सप्तदश द्वाषष्टिभागाः - एत प्रकार है - ३१ । २९ । इकतीस अहोरात्र उन्तीस मुहूर्त तथा एक मुहूर्त का बासठिया सत्रह भाग होते हैं । इस प्रकार अभिवर्द्धितसंवत्सर का मूल में कथित परिमाण हो जाता है। मूल में कहा है - ( ता एकतीस राईदियाई एगूणतीसंच मुहुत्ता सत्तरस बासहिभागा मुहुत्तस्स राईदियग्गेणं आहिए ति वजा ) इत्यादि । अब इसके मुहूर्त परिमाण के विषय में श्री गौतमस्वामी प्रश्न करते हैं(ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं आहिएत्ति वएजा ) यह पूर्व कथित अभिवर्द्धित मास कितना मुहूर्त परिमाणवाला कहा है ? सो हे भगवन् आप कहिये । इस प्रकार श्री गौतमस्वामी के पूछने से उत्तर में श्री भगवान् कहते हैं - ( ता णव एगूणसट्टे मुहुत्तसए सत्तरस वासट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहिएत्ति वएज्जा) नव सो उनसठ मुहूर्त तथा एक मुहूर्त का बासठिया सत्रह भाग મુહૂત લખ્યું થાય છે. આ બધાના। ક્રમાનુસાર-બ્યાસ આ પ્રમાણે છે-૩૧।૨૯।ર્રફ એક ત્રીસ અહારાત્ર ઓગણત્રીસ મુહૂત તથા એક મુહૂર્તના ખાડિયા સત્તર ભાગ થાય છે. આ પ્રમાણે અભિવધિ તસંવત્સરનું મૂળમાં કહેલ પરિમાણુ થઈ જાય છે. મૂળમાં કહ્યું છે. (ता एकतीस राईदियाई एगूणतीसं च मुहुत्ता सत्तरसबासट्टिभागा मुहुत्तस्स राईदियग्गेणं आहिएति वज्जा ) त्याहि. हवे आना भुहूर्त परिभाणुना संबंध भां श्रीगौतमस्वामी प्रश्न पूछे छे - (ता सेणं बेबइ मुहुत्तग्गेणं आहिएत्ति बज्जा) मा पूर्वउथित मभिवर्धित भास डेंटला मुहूर्त પરમાણુ વાળા કહેલ છે? તે હે ભગવાન્ આપ કહો આ પ્રમાણે શ્રીગૌતમસ્વામીના પૂછ पाथी उत्तर भां श्री लगवान् उडे छे. (ता णवएगूणसट्टे मुहुत्तसए सत्तर सबासट्ठियाभागे मुहु मुहुत्तग्गेणं आहिएत्ति वएज्जा) नवसो भोगनुसार मुहूर्त तथा मे मुहूर्त ना मासठिया સત્તરભાગ વાળા કહેલ છે. અર્થાત્ આ અભિધિત માસ નવસા ઓગણસાઠ ૯૫૯ મુહુત શ્રી સુર્યપ્રાપ્તિ સૂત્ર : ૨

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