Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सूर्यप्रप्तिसने विकुक्तुिं-विकुर्वणया शक्त्या अन्यान्यपि तथाभूतानि आत्मसत्करूपाणि कर्त प्रभवति प्रभुरित्यर्थः, इहात्र सिद्धान्तप्रसिद्धः खलु विकुर्वशब्दः, विकुर्व इति धातुरस्ति यस्य विकर्वणा इति प्रयोगस्तेन विकुर्वितु मित्युक्तमस्ति । ___ एतदेव प्रतिपादयति-'पभू णं ताओ एगमेगा देवी अण्णाई चत्तारि चत्तारि देवीसहस्साई परिवारं विउवित्तए' प्रभुः खलु ताभ्यः एका देवी अन्यानि चत्वारि चत्वारि देवीसहस्राणि विकुक्तुिं ॥ चतुणों देवी सहस्राणां मध्येऽपि एकैका देव्यपि अन्यान्यपि चत्वारि चत्वारि देवी सहस्राणि विकुर्वणा शक्त्या तथाविधां कर्तुं प्रभुः-प्रभवति, तासां मध्ये एकैकापि देवी तथाविधशक्तिशालिनी भवतीति भावश्चन्द्रदेवे अचिन्त्या शक्तिरस्तीत्यर्थः॥ अथ सर्वाः समुपसंख्यायते-'एवामेव सपुव्वावरेणं सोलसदेवी सहस्सा, सेत्तं तुडिए' एवमेव सपूर्वापरेण षोडशदेवी सहस्राणि, तदेतावत् त्रुटिके ।। एवामेव-पूर्वोदितभावनाप्रकारेणैव, सपूर्वापरेण-पूर्वेण सह सपूर्व पूर्व च तदपरं च सपूर्वापरं तेन सपूर्वापरेण-पूर्वापरमिलअर्थात् चंद्रदेव का इंगित को जानकर अपने समान रूपवाली अन्य चार चार हजार देवियों को विकुवर्णा शक्ति से विकुर्वित करने में समर्थ होती है। यहां पर विकुर्व शब्द सिद्धांत प्रसिद्ध है। विकुर्व यह धातु है जिस का विकुवर्णा इस प्रकार प्रयोग होता है अतः विकुर्वित करने में ऐसा कहा है।
इसी विषय को विशेष रूप से कहते हैं-(पभूणं ताओ एगमेगा देवी अण्णाई चत्तारि चत्तारि देवीसहस्साई परिवारं विउवित्तए) चार हजार देवियों में से एक एक देवी दूसरी चार चार हजार देवी को अपनो विकुर्वणा शक्ति से विकुर्वित कर सकती है एवं वे देवियां भी तथाविध शक्तिशाली होती हैं । अर्थात् चंद्र देव में अपरमित शक्ति होती है । अब सब की संख्या बतलाते है-(एवामेव सपुत्वावरेणं सोलस देवीसहस्सा से सं तुडिए) इस पूर्व कथित प्रकार से पूर्वापर को मिलाने से अर्थात् सब को जोडने से चंद्र देव ૨ના તિષ્કરાજ ચંદ્રદેવની ઈચ્છા પ્રમાણે અર્થાત્ ચંદ્રદેવના ઇંગિતને જાણીને પિતાના સરખારૂપવાળી બીજી ચારચાર હજાર દેવિયેને પિતાની દિકુર્વણ શક્તિથી વિકવિત કરવામાં સમર્થ હોય છે. અહી વિમુર્વ શબ્દ સિદ્ધાંત પ્રસિદ્ધ છે. વિકુવએ ધાતુ છે. જેને વિકણા એ રીતે પ્રયોગ થાય છે તેથી વિવિત કરવામાં તેમ કહ્યું છે. ___मा विषयने विशेष प्राथी ४ छ.-(पभू ण कामो एगमेगा देवी अण्णाई चत्तारि चत्तारि देवी सहस्साई परिवार विउवित्तए) या२९०४२ हेविये। थैली में से हैवी पy બીજી ચાર ચારહજાર દેવિયેને પોતાની વિદુર્વણ શક્તિથી વિવિત કરી શકે છે અને તે દેવી પણ તે પ્રકારની શક્તિવાળી હોય છે. અર્થાત્ ચંદ્રદેવમાં અપરિમિત શક્તિ डाय छे. वे अथानी सध्या मता छ.-(एवामेव सपुबावरेण सोलसदेवीसहस्सा सेत्तं तुलिए) मा पूर्व प्रथित १२थी पूर्वा५२ने भगवाथी थेट मधाने ४४ी ४२वाथी
શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર: