________________
( 79 ) परिहारविशुद्ध चारित्र में तीन प्रशस्तलेश्या सूक्ष्मसंपराय चारित्र में शुक्ललेश्या यथाख्यात चारित्र में
शुक्ललेश्या व अलेशी प्रथम गुणस्थान में
छः लेश्या द्वितीय गुणस्थान में
छः लेश्या तृतीय गुणस्थान में
छः लेश्या चतुर्थ गुणस्थान में
छः लेश्या पंचम गुणस्थान में
छः लेश्या षष्टम गुणस्थान में
छः लेश्या सप्तम गुणस्थान में
तीन प्रशस्तलेश्या अष्टम गुणस्थान में
शुक्ललेश्या नवम गुणस्थान में
शुक्ललेश्या दशम गुणस्थान में
शुक्ललेश्या ग्यारहवां गुणस्थान में शुक्ललेश्या बारहवां गुणस्थान में
शुक्ललेश्या तेरहवां गुणस्थान में
शुक्ललेश्या चौदहवां गुणस्थान में अलेशी-लेश्यारहित श्री मजयाचार्य ने कहा है...
१-कषाय कुशील नियण्ठा में छः लेश्या कही। २.-सामायिक चारित्र, छेदोस्थापनीय चारित्र में छः लेश्या पावै । ३-च्यार ज्ञान वाला साधु में पिण कृष्णलेश्या कही छ । ४-कृष्ण, नील अने कापोतलेश्या में च्यार ज्ञान की भजना कही। ५-कृष्णादि तीन लेश्या प्रमादी साधु में हुवे। ६-तेजो-पद्मलेश्या सरागी में हुवे ।
७-संयती में पिण कृष्णलेश्या हुवै । अलेशी, सलेशी, कृष्णलेशी यावत् शुक्ललेशी जीवों में कौन किससे अल्पबहुत्व, तुल्य या विशेषाधिक है- । १-सबसे कम जीव शुक्ललेश्या वाले होते हैं। २-इससे पद्मलेश्या वाले जीव संख्यातगुणा है ।
३-इनसे तेजुलेश्या वाले जीव असंख्यातगुणा है । १. भ्रम विध्वंसन की हुंडी, लेण्याऽधिकार
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org