________________
१५४
लेश्या-कोश जलचर, चतुष्पादस्थलचर, उरपरिसर्प स्थलचर, भुजपरिसर्प स्थलचर, खेचर तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में छः लेश्या होती है।
'१६२ संमुच्छिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में
संमुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहा नेरइयाणं ।
-पण्ण० प १७ । उ २ । सू १३ । पृ० ४३८
संमुच्छिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में तीन लेश्या होती है-यथा-कृष्ण-नीलकापोत ।
'१६ ३ जलचर संमुच्छिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में
संमुच्छिमपंचेन्दियतिरिक्खजोणिया x x x जलयरा-लेस्साओ तिन्नि ।
-जीवा० प्रति १ । सू ३५ । पृ० ११३
जलचर संमुच्छिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में तीन लेश्या होती है । '१६ '४ स्थलचर संमुच्छिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में
चतुष्पादस्थलचर संमुच्छिम में (क) चउप्पय-थलयर-समुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया xxx जहा जलयराणं ।
-जीवा० प्रति १ । सू ३६ । पृ० ११४ चतुष्पाद स्थलचर समुच्छिम तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में तीन लेश्या होती है। उरपरिसर्प स्थलचर समुच्छिम में
(ख) उरयपरिसप्पसंमुच्छिमा xxx जहा जलयराणं ।
-जीवा० प्रति १ । सू ३६ । पृ० ११४ उरपरिसर्प स्थलचर संमुच्छिम तिर्यच पंचेन्द्रिय में तीन लेश्या होती है। भुजपरिसर्प स्थलचर संमुच्छिम में
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org