Book Title: Leshya kosha Part 2
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 714
________________ ५५२ लेश्या - कोश इतः पूर्व दो खण्डों में एतद् विषयक सामग्री प्रस्तुत करके के अतिरिक्त लेश्या कोश, क्रिया कोश और मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास संस्था द्वारा प्रकाशित कर जैन समाज का ही नहीं पर अनुसंधेत्सु छात्रों विद्वानों का भी बड़ा उपकार किया है । मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास पर समीक्षा पत्र-पत्रिकाओं में समीक्षा मिथ्यात्व का आध्यात्मिक विकास —— लेखक - श्रीचन्द चोरड़िया, प्रकाशक जैन दर्शन समिति, १६-सी, डोवर लेन, कलकत्ता ७०००२६, मूल्य : पन्द्रह रुपये मात्र । कुशल निर्देश मार्च १६६२ श्री श्रीचन्द्र चोरड़िया जैन दर्शन के जाने माने तरुण विद्वान हैं और जैन समिति द्वारा प्रकाशित कई ग्रन्थ में उनका बहुमूल्य योगदान रहा है । प्रस्तुत ग्रन्थ नौ अध्यायों में विभक्त हैं और प्रत्येक अध्याय में अनेक उपविषय हैं, एक मिथ्यात्व अर्थात् सम्यग दृष्टि रहित व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास हो सकता है या नहीं इस विषय पर उन्होंने सप्रमाण क्रमवार विवेचन इस ग्रन्थ में किया साधारणतः यही समझा जाता है कि मिथ्यात्वी का अध्यात्मिक विकास संभव नहीं है किन्तु विद्वान लेखक श्री चोरड़ियाजी ने इस ग्रन्थ में निरूपित किया है कि मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास हो सकता है । कब, कहां, कैसे किन दशाओं एवं किस सीमा तक उसका आध्यात्मिक विकास हो सकता है, उस बारे में उन्होंने सैद्धान्तिक दृष्टि से सप्रमाण विवेचन किया है । ग्रन्थ जैन पंडितों को चिन्तन के लिए प्रेरित करेगा एवं अनेक भ्रान्त धारणाओं को भी दूर कर सकेगा । विद्वत्तापूर्ण ग्रन्थ के लेखक एवं प्रकाशक बधाई के पात्र हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only -जैन जगत मार्च १९७८ प्रायः यह समझा जाता है कि मिथ्यात्वी व्यक्ति धर्माचरण का अधिकारी नहीं है और उसका आध्यात्मिक विकास नहीं हो सकता । भ्रांति का निरसन विद्वान लेखक ने सरल-सुबोध किन्तु विवेचनात्मक शैली में अनेक शास्त्रीय प्रमाणों को पुष्ठि पूर्वक किया है, और यह दिखाया है कि एक मिथ्यात्वी भी अपना कितना, कैसा, किस दिशा में और सोमात्मक अध्यात्मिक विकास कर सकता है । - www.jainelibrary.org

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