Book Title: Leshya kosha Part 2
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 713
________________ लेश्या - कोश ५५१ editor has ransacked both the Swetambara and Digambara sourcebooks, this volume is free from all sorts of parochial outlook. I hope, this book must be in the library of every learned scholar. -Dr. Satyaranjan Banerjee यह सब आपके परिश्रम का परिणाम है । विवरण दिया है । मैं आपको धन्यवाद देता हूँ । वर्धमान जीवन कोश खण्ड १, २, ३ यह ग्रन्थ महत्वपूर्ण ग्रन्थ है । आपका यह बहु उपयोगी प्रकाशन है । हर पुस्तक का अलग-अलग - जबरमल भण्डारी ५ अगस्त १६६२ - गोकलप्रसाद जैन भारतीय ज्ञानपीठ - बालाजी गणोदकर कोबा पूर्वार्ध के दोनों खण्डों के टाइप भी इतने सुघड़ मनोरंजन नहीं है । तृतीय खण्डों को देखकर पूरा संतोष होता है । सामग्री का चयन तीनों खण्डों का उत्तम है । Jain Education International गेटप भी तृतीय खण्ड पीछले दोनों खण्डों से बहुत सुन्दर है । श्रीचंदजी ने इस कार्य में भगीरथ प्रयत्न किया है । - जिनेश मुनि इसमें वर्धमान तीर्थङ्कर के च्यवन से परिनिर्वाण तक का बड़े तलस्पर्शी ढंग से संकलन हुआ है । कोश बड़ा रोचक बन पड़ा है । - चन्द्रशेखर सागर सूरि प्रस्तुत ग्रन्थ जैनागमों व ग्रन्थों के मंथन द्वारा संकलित भगवान महावीर के जीवन सामग्री का सानुवाद संग्रह करने का भागीरथ प्रयत्न है । जैन धर्म से सम्बन्धित शोध कार्य करने वालों के लिए यह बहुत ही सहायक और वर्षों से निष्ठा पूर्वक किये गये परिश्रम का सुखद परिणाम है । सम्पादक महोदय ने For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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