Book Title: Leshya kosha Part 2
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 723
________________ लेश्या-कोश ५६१ जैन दर्शन या जैन धर्म में आचार-व्यवहार के क्षेत्र में सम्यक्त्व की अपरम्पार महिमा गायी गयी है और मिथ्यात्व को सब दृष्टियों से हेय ( त्याज्य ) बतलाया गया है। गुणस्थानों में भी क्रमविकास के अन्तर्गत सर्वप्रथम मिथ्यात्व को गिना गया है। सम्यक्त्व सहित नरक में जाना भी स्वर्गलोक में मिथ्यात्वी रहने की अपेआ श्रेयस्कर कहा गया है। विद्वान् लेखक ने इसी बहुचर्चित विषय का विवेचन इस पुस्तक में, नौ अध्यायों में सप्रमाण किया है। यह विवेचन लेखक ने मत-सहिष्णुता एवं समन्वय की भूमिका से किया है। परिभाषाओं और विशिष्ट शब्दों में आबद्ध तात्त्विक प्ररूपणाओं एवं परम्पराओं को उन्मुक्त भाव से समझने के लिए यह कृति अतीव मूल्यवान् है । लेखक का यह श्रम अभिनन्दनीय है। -श्रमण, बनारस जनवरी १९७८ मिथ्यात्वी और सम्यक्त्वी की क्रिया की चर्चा जैन तत्त्व-ज्ञान का एक महत्वपूर्ण विषय है। तेरापंथ के प्रवर्तक आचार्य श्री भिक्षु एवं चतुर्थाचार्य श्री जयाचार्य ने इस विषय पर गम्भीर विश्लेषण किया है, शास्त्रीय परम्परा के आधार पर यह प्रमाणित किया है कि मिथ्यात्वी की निरवद्य क्रिया भी आत्मविकास का साधन है, मोक्ष मार्ग के अनुकूल है। श्री श्रीचन्द चोरडिया के विशिष्ठ नन्थ 'मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास' में उपरोक्त विषय का शास्त्रीय और दार्शनिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण प्रतिपादन हुआ है। जैन धर्म के तान्विक चिन्तन में रूचि रखने वालों के लिये तो यह पुस्तक ज्ञानवर्द्धक और रसप्रद है ही, किन्तु साम्प्रदायिक अनाग्रह और वैचारिक उदारता के इस युग में हर बौद्धिक और चिन्तनशील व्यक्ति के लिए इसका स्वाध्याय उपयोगी भी है। मिथ्यात्वी सम्यक्त्वी की परिभाषा क्या है ? मिथ्यात्वी के आत्म-शद्धि का अस्तित्व है या नहीं, मिथ्यादृष्टि क्रियावादी होते हैं या अक्रियावादी? मिथ्यात्वी में लेश्या और ध्यान की स्थिति कैसी है ? आदि प्रश्नों का इस पुस्तक में शास्त्रीय और तार्किक दोनों दृष्टियों से विशद समाधान किया गया है। श्री श्रीचन्द चोरड़िया वर्तमान में साप्ताहिक जैन भारती के सम्पादक हैं। जैन दर्शन समिति की आगम कोष योजना के प्राण हैं। लेश्या कोष एवं क्रिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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