Book Title: Leshya kosha Part 2
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 736
________________ ५७४ लेश्या - कोश अधिक पुस्तकें से संग्रहित मौलिक उद्देश्य से सम्बन्ध रखता है । जैन ग्रन्थों के सभी उद्धरण चाहे विधिवत् हो या अविधिवत् हिन्दी में अनुवादित है । इन सभी उद्धरणों का एक ही स्थान से संग्रह करना कठिन कार्य — यह कहना व्यर्थ ही नहीं होगा । इसके लिए श्री चोरड़ियाजी बधाई के योग्य पाच हैं । श्री चोरड़ियाजी जैन दर्शन पर लम्बे समय से शौध कर रहे हैं ( या कार्यरत है ) वे एक अच्छे दार्शनिक या विद्वान है । और सर्वदा जैन विश्वकोशों से समर्पित है । उनका अधिकांश समय अपने कोशों से सम्बन्धित विषय के संग्रह पर ही लगता है | वे अपने कार्य के प्रति विशेष रूप से समर्पित है । मेरे ध्यानार्थ में उनके सभी विश्वकोशों से इस पंडितोचित दुनिया ने विशेष रूप से सम्मान दिया है । हाल ही में श्री चोरड़ियाजी को पश्चिम बंग प्रादेशिक अणुव्रत समिति द्वारा उनके विद्वता और जैन दर्शन के गहरे आध्ययन का मूल्यांकन करते हुए 'अणुव्रत साहित्य सेवी' पुरस्कार प्रदान किया गया है । उनके सभी कोशों जैन दर्शन के सिद्धान्तों पर आधारित पुस्तकों का मूल्यवान उद्गम या स्रोत है । उनके नियमों का सिद्धांत अच्छा है | क्रमानुसार है और उपयोगी है । अपनी शब्द कोश योजना के तहत श्री चोरड़ियाजी ने शोध के नये आयाम दिये हैं और जैन सम्बन्धित अध्यायों की भावी पीढ़ी के लिए उन्होंने नये आयाम स्थापित किये हैं । अस्तु पुद्गल कोश एक थिसिस किताब है जिससे मौलिक जैन कार्यों से सम्बन्धित प्रचुर सार तथा संदर्भों का तरीके बद्ध क्रम से उल्लेख है । उनके सभी कोश जैन दर्शन के विश्वकोश को संग्रह करने में विद्वानों को मदद करेंगे । यह पुस्तक बहुत ही प्रशंसनीय है और यह जैन दर्शन के विद्यार्थियों के लिए बहुत ही आवश्यक है । और मूल्यवान छोटी पुस्तक का कार्य सम्पादित करेगी । मुझे विश्वास है कि यह पुद्गल कोश दुनिया के पुस्तकालयों को सुशोभित करेगी | - डा० सत्यरंजन बनर्जी विक्रम सम्बत् २०१२ में आगम सम्पादन का कार्य शुरु हुआ । सम्पादन के लिए जो कल्पना की गई, उसका एक अंग था आगमों का विषयीकरण | प्रारम्भ में आगमों के अनुवाद टिप्पणी आदि का कार्य शुरु किया । विषयीकरण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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