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लेश्या-कोश प्रथम के आठ विकल्पों में न जानता है, न देखता है ; शेष के चार विकल्पों में जानता है, देखता है।
नोट—अविशुद्धलेशी का टीकाकार ने 'अविशुद्धलेशी विभंगज्ञानी देव' अर्थ किया है। अन्यतर का अर्थ दोनों में से एक' होता है। 'असम्मोहएणं अप्पाणणं' का अर्थ टीकाकार ने अनुपयुक्त आत्मा किया है।
टीका-एभिः पुनश्चतुभिर्विकल्पैः सम्यग्दृष्टित्वाटुपयुक्तत्वानुपयुक्तत्वाच्च जानाति, उपयोगानुपयोगपक्षे उपयोगांशस्य सम्यग्ज्ञानहेतुत्वादिति ।
शेष के चार विकल्पों में विशुद्धलेशी देव सम्यगदृष्टि होने के कारण उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा होने पर भी जानता व देखता है; क्योंकि सम्यग्ज्ञान होने के कारण उपयोगानुपयोग में उपयोग का अंश अधिक होता है।। .६६ ३२ विशुद्ध-अविशुद्धलेशी अणगार का विशुद्ध-अविशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी
को जानना व देखना___ अविसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे असमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ, पासइ ? गोयमा! नो इणढे समह । (१)
अविसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे असमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ, पासइ ? गोयमा! नो इण? सम? । (२) ___ अविसुद्धलेस्से ( णं भंते ! ) अणगारे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ, पासइ ? गोयमा! नो इणह समह । (३) ___अविसुद्धलेस्से ( णं भंते ! ) अणगारे समोहएणं अप्पाणणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ, पासइ ? (गोयमा!) नो इण? सम? । (४)
अविसुद्धलेम्से णं भंते ! अणगारे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ, पासइ ? (गोयमा!) नो इण सम । (५)
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