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लेश्या-कोस
५३१ भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित विकीर्ण तथ्यों को प्रस्तुत ग्रन्थ में एकत्रित किया गया है। महावीर के जीवन का विशिष्ट अध्ययन एवं शोध करने वाले विद्यार्थियों और विद्वानों का इससे बड़ा उपकार हुआ है। एक ही स्थान पर समग्न यथेष्ट सामग्री उपलब्ध होने से अध्येताओं को बहुत बड़ी सुविधा मिली है। इसमें दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों प्रकार की मान्यताओं का दिग्दर्शन प्राप्त होता है। कुछ तथ्य तो ऐसे हैं जो इससे पूर्व ध्यान में नहीं आए थे। दिगम्बर मान्यता के अनुसार महावीर अविवाहित थे। श्वेताम्बर मान्यता के अनुसार वे विवाहित थे। उनकी एक पत्नी थी जिसका नाम यशोदा था किन्तु शीलांकाचार्य के चउप्पन महापुरष चरियं का सन्दर्भ उद्धृत करते हुए उनके अनेक पत्नियों का उल्लेख किया गया है जो एक अबहुश्रुत तथ्य है। इस सम्बन्ध में अनुसंधान की अपेक्षा है ।
__ परिश्रम के अनुरूप सम्पादन भी परिष्कृत होता तो ग्रन्थ की गरिमा और अधिक बढ़ जाती। अनुवाद की भाषा में सरल है। तथ्यों को कालानुक्रम से प्रस्तुत किया जाता तो गवेषणा की दृष्टि से सुगमता होती। मुद्रण की भूलें भी अखरने जैसी हैं । आगामी संस्करण में इनपर ध्यान दिया जाए तो अति उत्तम होगा। फिर भी कुल मिलाकर यह कोश जैन वाङ्गमय की एक बड़ी रिक्तता की पूर्ति करने वाला होगा।
-मुनिथी गुलाबचंद "निर्मोही"
कलकत्ता जैन भारती २६-६-८३
प्रस्तुत ग्रन्थ एक संकलन ग्रन्थ है, जिसमें भगवान महावीर से सम्बन्धित( च्यवन से परि निर्वाण तक ) सामग्री का चयन मूल आगम, नियुक्ति, भाष्य चूर्णी, संस्कृत टीका, दिगम्बर एवं श्वेताम्बर सैद्धान्तिक ग्रन्थों के आधार पर हुआ है। कतिपय जेनेतर ग्रन्थों का भी आधार प्रस्तुत किया गया है। सम्बन्धित विषय की बिखरी सामग्री को इस माध्यम से क्रमबद्ध रूप में व्यवस्थित करने का जो प्रयास हुआ है, वह अनेक दृष्टियों से स्तुत्य और ग्रहणीय है।
स्व० बांठियाजी की जैनागमों के वर्गीकरण की परि-कल्पना तद् जन्य क्रियान्विति संदर्भ में जैन आगम विषय कोश-ग्रन्थमाला' का यह तृतीय पुष्प'वर्धमान जीवन-कोश' रूप में सामने है। इससे पूर्व इस क्रम में महत्त्वपूर्ण दो ग्रन्थ लेश्या-कोश एवं क्रिया-कोश प्रकाशन में आ चुके हैं, जिनकी विद् समाज में बहुत सुन्दर प्रतिक्रिया रही है।
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