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लेश्या-कोश
चोरड़िया ने बड़ी लगन एवं परिश्रम के साथ इस कोश का सम्पादन पूरा कर ही दिया और बांठियाजी की प्रेरणा से स्थापित जैन दर्शन समिति ने उसका सन्तोषजनक प्रकाशन भी कर दिया । यह ग्रन्थ भगवान महावीर के जोवन सम्बन्धी सन्दर्भों का वस्तुतः विश्वकोश है । पूर्वोक्त कोशों की भाँति इसका निर्माण भी अन्तराष्ट्रीय दशमलब वर्गीकरण पद्धति से किया गया है । लेखक के द्वारा निर्माण लगभग १०० प्राचीन ग्रन्थों के आधार से किया गया है, जिनमें से कई दिगम्बर परम्परा के भी हैं और कई हिन्दु, बौद्धादि जैनेतर परम्पराओं का अधिकांश स्रोत स्वभावतः श्वेताम्बर हैं । बहुधा उभय परम्पराओं के मतभेदों का भी संकेत कर दिया गया है । दिगम्बर साहित्य का कुछ और अधिक उपयोग किया जाता तो ग्रन्थ की उपयोगिता में वृद्धि हो जाती । कोश का अंग्रेजी फोरवर्ड हमसे लिखाया है । अभी इस कोश का दूसरा खण्ड और प्रकाशित करने की योजना है । इसमें सन्देह नहीं है कि शोधार्थियों के लिए यह ग्रन्थ अतीव उपयोगी सिद्ध होगा । सम्पादक और प्रकाशक धन्यवादाह हैं । — जैन सन्देश मथुरा जनवरी-मार्च १९८१
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प्रस्तुत ग्रन्थ के नाम से ही स्पष्ट होता है कि इसमें भगवान महावीर के जीवन चरित्र से सम्बन्धित विभिन्न तथ्यों का संकलन किया गया है । भगवान महावीर का जीवन चरित्र विभिन्न लेखकों द्वारा विभिन्न भाषाओं एवं विभिन्न विधाओं में प्राप्त होता है किन्तु कोश की विधा में उनके जीवन चरित्र को स्पष्ट करने वाला यह सर्व प्रथम प्रकाशित ग्रन्थ है । कोश का निर्माण कितना श्रम साध्य होता है, यह वही व्यक्ति जान सकता है जो इस प्रकार के कार्य से सम्पृक्त रहा हो । युग प्रधान आचार्य श्री तुलसी एवं युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ के सानिध्य में चलने वाले आगम सम्पादन कार्य के अन्तर्गत प्रत्येक आगम की स्वतन्त्र शब्द सूचियां तैयार की गई । उस समय सूत्रकृतांग, रायप्रश्नीय, विपाक आदि आगमों की शब्द सूचियों के कार्य में संलग्न रहने से उनको दुखहता का कुछ भान हुआ । सचमुच कोश निर्माण का कार्य एक दृष्टि से उबा देने वाला और नीरसता पैदा करने वाला कार्य है है जो दृढ़ अध्यवसाय और निष्ठा का धनी हो । की कार्य के प्रति निष्ठा उल्लेखनीय और असंदिग्ध थी । श्री श्रीचन्द्र चोरड़िया में भी उसी प्रकार की श्रमनिष्ठा और कार्यशीलता परिलक्षित होती है । यही कारण है कि बांठिया जी के निधन के बावजूद भी कोश निर्माण का कार्य अपनी गति से चल रहा है ।
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इसे वही व्यक्ति कर सकता स्व० श्री मोहनलाल बांठिया
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