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लेश्या-कोश
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प्रस्तुत कोश में काफी विस्तार के साथ श्रमण भगवान महावीर के च्यवन पूर्व, च्यवन गर्भ, जन्म, दीक्षा, केवल ज्ञान प्राप्ति, परिनिर्वाण आदि का विवेचन है।
___सम्पादक द्वय ने यह कोश मूल आगम, आगमेतर ग्रन्थ ( श्वेताम्बर-दिगम्बर ग्रन्थ ) तथा कुछेक जेनेतर ग्रन्थों से तैयार किया है।
इस कोश की यह भी विशेषता है कि श्वेताम्बर और दिगम्बर की कुछ मान्यताओं को अलग-अलग तालिका बनाकर दिखाया गया है। सम्पादकों का यह श्रम अभिनन्दनीय है।
प्रस्तावित तीन खण्डों में से यह प्रथम खण्ड है। अन्य दो का सम्पादन कार्य जारी है। आशा है शोधकर्ताओं के लिए यह ग्रन्थ अति उपयोगी सिद्ध होगा।
-मुनि राजकरण जैन भारती अंक ११ वर्ष २६
१४ जून १९८१ पुस्तक बहुत ही महत्वपूर्ण हैं लेखक ने निष्ठापूर्वक कठिन परिश्रम एवं दीर्घ अध्ययन से सामग्नी संग्रहित की है। शोध छात्रों के लिए इस एक पुस्तक के अध्ययन से ही बहुत अच्छी प्रमाणिक सामग्री उपलब्ध हो सकेगी। भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित विभिन्न ग्रन्थों में वणित सामग्री एक ही स्थान पर उपलब्ध होने से पुस्तक का साहित्य एवं ऐतिहासिक महत्त्व और ज्यादा बढ़ गया है तथा पुस्तक की प्रामाणिकता असंदिग्ध हो गई है। अध्ययन के पश्चात मुझे तो हृदय में अद्भुत प्रभाव की अनभूति हुई।
-सम्पतराम सुराणा तेरापंथ प्रकाश १९८१
इस ग्रन्थ में श्रमण भगवान महावीर स्वामी के जीवन सम्बन्धी जिनागमों, नियुक्ति, भाष्य, टीकाओं और श्वेताम्बर आचार्यों के ग्रन्थों के अतिरिक्त दिगम्बर ग्रन्थों, बौद्ध पिटकों, ग्रन्थों, वेदों, पुराणों आदि से सामग्नी एकत्रित कर मन्थ में सजाई गई है। यह ग्रन्थ अपने आप में अद्वितीय अनूठा और विद्वानों के लिये बहुमूल्य निधि है। इसके पीछे सूझबूझ के साथ कष्टसाध्य पुरुषार्थ हुआ है। भगवान के जीवन सम्बन्धी जो और जितनी सामग्नी इसमें संकलित हुई है, पहले किसी ग्रन्थ में नहीं हुई। जिस निष्ठा, अनुभव और धैर्य से यह कोश
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