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लेश्या-कोश
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असुरकुमार के चौंसठ लाख आवासों में एक-एक असुरकुमारावास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी, कापोतलेशी व तेजोलेशी असुरकुमार. में लोभोपयोग, मायोपयोग, मानोपयोग व क्रोधोपयोग के सत्ताईस विकल्प कहने चाहिए । नारकियों में क्रोध को बिना छोड़े विकल्प होते हैं परन्तु देवों में लोभ को बिना छोड़े विकल्प बनते हैं । अतः प्रतिलोभ भंग होते हैं, ऐसा कहा गया है। समस्त असुरकुमार लोभोपयुक्त होते हैं। अथवा बहुत से लोभोपयुक्त और एक मायोपयुक्त होता है । अथवा बहुत से लोभोपयुक्त और बहुत से मायोपयुक्त होते हैं, इत्यादि रूप में जानना चाहिये । इसी प्रकार नागकुमार से स्तनितकुमार तक कहना परन्तु आवासों की भिन्नता जाननी चाहिये । '७३.१३ सलेशी वानव्यंतर देव में कषायोपयोग के विकल्प
वाणमंतरजोइसवेमाणिया जहा भवणवासी, नवरं नाणत्तं जाणियन्वं जं जस्स, जाव अनुत्तरा।
-भग० श १ । उ ५ । सू १६६ । पृ० ४०२ वानव्यंतर के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी, कापोतलेशी व तेजोलेशी वानव्यंतर में भवनवासी देवों की तरह लोभोपयोग, मायोपयोग, मानोपयोग व क्रोधोपयोग के सत्ताईस विकल्प कहने चाहिये । ( देखो पाठ '७३.१२) "७३.१४ सलेशी ज्योतिषी देव में कषायोपयोग के विकल्प___ज्योतिषी देव के असंख्यात लाख विमानावासों में एक-एक विमानावास में बसे हुए तेजोलेशी ज्योतिषी देव में भवनवासी देवों की तरह लोभोपयोग, यायोपयोग, मानोपयोग व क्रोधोपयोग के सत्ताईस विकल्प कहने चाहिये। ( देखो पाठ '७३.१२) '७३.१५ सलेशी वैमानिक देव में कषायोपयोग के विकल्प
वैमानिक देवों के भिन्न-भिन्न भेदों में भिन्न-भिन्न संख्यात विमानावासों के अनसार एक-एक बिमानावास में बसे हुए तेजोलेशी, पद्मलेशी व शुक्ललेशी वैमानिक देवों में भवनवासी देवों की तरह लोभोपयोग, मायोपयोग, मानोपयोग व क्रोधोपयोग के सत्ताईस विकल्प कहने चाहिये । ( देखो पाठ ७३.१२) '७४ सलेशी जीव और त्रिविध बंध__ कइविहे णं भंते ! बंधे पन्नत्ते ? गोयमा ! तिविहे बंधे पन्नत्ते, तं जहा जीवप्पओगबंधे, अणंतरबंधे, परंपरबंधे। x x x दंसण
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