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(१) औधिक रूप से, (२) समय के, (५) अचरम समय के, समय के, (८) प्रथम चरम समय के, चरम समय के तथा ( ११ ) चरम - अचरम समय के ।
लेश्या-कोश
प्रथम समय के, (३) अप्रथम समय के, (४) चरम (६) प्रथम - प्रथम समय के, (७) प्रथम- अप्रथम (६) प्रथम - अचरम समय के, (१०) चरम -
भवसिद्धिक तथा अभवसिद्धिक जीवों का उपर्युक्त सोलह महायुग्मों से तथा ग्यारह अपेक्षाओं से विवेचन किया गया है । हमने यहाँ पर लेश्या विशेषण सहित पाठों का ही संकलन किया है ।
१८७१ सलेशी महायुग्म एकेन्द्रिय जीव—
( कडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया ) ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेस्सा० पुच्छा ? गोयमा ! कण्हलेस्सा वा, नीललेस्सा वा, काऊलेस्सा वा, तेऊलेस्सा वा । × × × एवं एएस सोलससु महाजुम्मेसु एक्को गमओ ।
—भग० श ३५ । श १ । उ १ । सू ६, १६ । पृ० ६२६-२७
कृतयुग्मकृतयुग्म एकेन्द्रिय जीवों में कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या, तेजोलेश्या - ये चार लेश्याएं होती हैं । इसी प्रकार सोलह महायुग्मों में चार लेश्याएँ होती हैं |
एवं एए ( णं कमेणं) एक्कारस उद्देगा |
- भग० श ३५ । श १ । उ ११ । सु । पृ० २६
इसी क्रम से निम्नलिखित ग्यारह उद्देशक कहने चाहिए । इस प्रकार हैं
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(१) कृतयुग्मकृतयुग्म, (२) पढमसमयकृतयुग्मकृतयुग्म, (३) अपढमसमय०, (४ ) चरमसमय०, (५) अचरमसमय०, (६) प्रथम - प्रथमसमय०, (७) प्रथम प्रथम समय०, (८) प्रथमचरमसमय०, (६) प्रथमअचरमसमय०, (१०) चरमचरमसमय० तथा (११) चरमअचरमसमय० ।
इन ग्यारह उद्ददेशकों में प्रत्येक उद्दे शक में सोलह महायुग्म कहने चाहिए ।
ग्यारह उद्दशक
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