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लेश्या-कोश
५०३ (६) डा० दरबारीलाल कोठिया एम० ए० पी० एच० डी०, बनारस,
__ आपने और आपके सहयोगी श्रीचन्दजी चोरडिया ने प्रस्तुत कृति लिख कर जैन दर्शन के एक ऐसे विषय पर प्रकाश डाला है जो जनेतरों के लिये सर्वथा अज्ञात है। इसमें लेश्या का क्रमबद्ध और विस्तृत विवेचन करके आप लोगों ने लेश्या सम्बन्धी अच्छी जानकारी दी है। इतनी महत्वपूर्ण और विविध जानकारियों से भरी कृति प्रस्तुत करने के लिये आप दोनों साधुवादाह हैं । (७) डा० विमल प्रकाश जैन एम० ए० पी० एच० डी०, जबलपुर __लेश्या कोश अत्यधिक महत्वपूर्ण और उपयोगी बन पड़ा है। कामना है कि दिगम्बर ग्रन्थों पर आधारित लेश्या कोश भी आप शीघ्र से शीघ्र प्रकाशित कर सके। लेश्या कोश के आधार पर अब इस क्षेत्र में शोध छात्रों और विद्वानों को गम्भीर शोध कर सकना सम्भव होगा। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिये मेरी हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें। (८) श्री उदयचन्द्र जैन, प्राध्यापक काशी हिन्दु विश्वविद्यालय, बनारस ____ आपके द्वारा प्रेषित 'लेश्या कोश" नामक महत्वपूर्ण कृति प्राप्त कर परम प्रसन्नता हुई। इस कृति में आपने आगम ग्रन्थों के आधार से लेश्या के सम्बन्ध में समग्न विवेचन को एक स्थान पर एकत्रित करके तथा उसका सुरूचिपूर्ण सम्पादन करके एक ऐसी कमी की पूर्ति की है जिसका होना अत्यावश्यक था।
आपने वाङ्गमय के मूल की जो रूपरेखा तैयार की है वह भी गम्भीर मनन और चिन्तन का परिणाम है।
इस महत्वपूर्ण कार्य के लिये आप और आपके सहयोगी श्री चोरडियाजी हार्दिक बनाई के पात्र हैं। (8) डा० भागचन्द्र जैन, एम० ए० पी० एच० डी०, नागपुर
लेश्य कोश मिला। शोधकों के लिये ऐसी ग्रन्थ की नितान्त आवश्यकता थी। उसकी आपने पूर्ति कर दी इसके लिये बधाइयाँ स्वीकार करें। संग्रह बहुत सुन्दर है। (१०) अमृत लाल जैन, जैन दर्शन-साहित्यचार्य, वाराणसी
__ आपकी अत्यन्त उपयोगी वैदुष्यपूर्ण कृति— 'लेश्या कोश' प्राप्त हुई। यह मेरे लिये एक निधि है। ऐसी अनुपम कृति के निर्माण के लिये मैं आपको हार्दिक बधाई देना चाहता हूँ।
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