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लेश्या-कोश लेसलक्खमहुसित्थमाइएहिं लेसणएहिं बंधे समुप्पज्जइ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं, सेत्तं लेसणाबंधे।
-भग० श ८ । उ । सू १३ । पृ० ५६१-६२ टीका-श्लेषणा-श्लथद्रव्येण द्रव्ययोः सम्बन्धनं तद्पो यो बन्धः स तथा।
शिखर का, कुट्टिम का, स्तम्भ का, प्रासाद का, लकड़ी का, चमढ़े का, घड़े का, वस्त्र का, कड़ी का, खड़िया का, पंक का श्लेष-वज्रलेप का, लाख का, मोम आदि द्रव्यों का या इन द्रव्यों द्वारा श्लेषणाबंध होता है। यह बंध जघन्य में अंतमुहूर्त तथा उत्कृष्ट में संख्यात काल तक स्थायी रहता है। 'EE ८ नारकी और देवता की द्रव्य-लेश्या
से नूणं भंते ! क्ण्हलेसा नीललेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव णो ताफासत्ताए भुजो-भुजो परिणमइ ? हंता गोयमा ! कण्हलेसा नीललेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए, णो तावन्नत्ताए, णो तागंधत्ताए, जो तारसत्ताए, णो ताफासत्ताए भुज्जो २ परिणमइ । से केण?णं भंते ! एव वुच्चह ? गोयमा ! आगारभावमायाए वा से सिया, पलिभागभावमायाए वा से सिया। कण्हलेस्सा णं सा, णो खलु नीललेसा तत्थ गया ओसका उस्सकइ वा, से तेण?णं गोयमा! एवं वुच्चइ'कण्हलेसा नीललेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुज्जो २ परिणमइ । से नूणं भंते ! नीललेसा काऊलेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुजो २ परिणमइ ? हंता गोयमा ! नीललेसा काऊलेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुजो २ परिणमइ । से केण?णं भंते ! एवं बुञ्चइ-'नीललेसा काऊलेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुजो २ परिणमइ ? गोयमा ! आगारभावमायाए वा सिया, पलिभागभावमायाए वा सिया। नीललेसा णं सा, णो खलु काऊलेसा तत्थगया ओसक्कइ उस्सकइ वा, से एएण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ-'नीललेसा काऊलेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुजो २ परिणमइ । एवं काउलेसा तेउलेसं पप्प, तेऊलेसा पम्हलेसं पप्प, पम्हलेसा मुक्कलेसं पप्प । से नूणं भंते ! सुक्कलेसा पम्हलेसं पप्प, णो तारूवत्ताए जाव परिणमइ ? हंता गोयमा !
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