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लेश्या - कोश
में सदैव स्थित चन्द्र-सूर्य ग्रह-नक्षत्र - तारा की लेश्याएँ परस्पर में अवगाहित होकर उस मनुष्य क्षेत्र के बाहर अपने-अपने निकटवर्ती प्रदेश को उद्योतित, अवभासित, आतप्त तथा प्रकाशित करती है ।
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-६६१० गर्भ में मरनेवाले जीव की गति में लेश्या का योग -
६६ १०१ नरकगति में
जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे नेरइएस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा | से केणट्ट े पां ? गोयमा ! से णं सन्निपंचिदिए सव्वाहिं पज्जन्तीहिं पज्जन्त्तए वीरियलद्धीए xxx संगामं संगामेइ । से णं जीवे अत्थकामए, रज्जकामए × × × कामपिवासिए ; तच्चित्ते, तम्मणे, तल्लेसे तदज्भवसिए xxx एयंसि णं अंतरंसि कालं करेज्ज नेरइएस उववज्जइ ।
- भग० श १ । उ ७ । सु २५४-५५ । पृ० ४०६-७
सर्व पर्याप्तियों में पूर्णता को प्राप्त गर्भस्थ संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव वीर्यलब्धि आदि द्वारा चतुरंगिणी सेना की विकुर्वणा करके शत्रु की सेना के साथ संग्राम करता हुआ, धन का कामी, राज्य का कामी यावत् काम का पिपासु जीव उस तरह के चित्तवाला, मनवाला, लेश्यावाला, अध्यवसाय वाला होकर वह गर्भस्थ जीव यदि उस काल में मरण को प्राप्त हो तो नरक में उत्पन्न होता है ।
गर्भस्थ जीव गर्भ में मरकर यदि नरक में उत्पन्न हो तो मरणकाल में उस जीव के लेश्या परिणाम भी तदुपयुक्त होते हैं ।
६६ १०२ देवगति में
जीवे णं भंते! गब्भगए समाणे देव लोगेसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा | से केण णं ? गोमा ! सेणं सन्निपंचिदिए सव्वाहिं पज्जन्तीहिं पज्जत्तए तहारूवरस समणस्स वा, माहणस्स वा अंतिए x x x तिब्वधम्माणुरागरत्ते, से णं जीवे धम्मकामए x x x मोक्खकामए xxx पुण्णसग्गमोक्खपिवासिए तच्चिते तम्मणे तल्लेसे तद्ज्भवसिए xxx एयंसि णं अंतरंसि कालं करेज्ज देवलोगेसु उववज्जइ ।
- भग० श १ । उ ७ । सू २५६-५७ । पृ० ४०७
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