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लेश्या - कोश
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सर्व पर्याप्तियो में पूर्णता को प्राप्त गर्भस्थ संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव तथा रूप श्रमणमाहण के पास आर्यधर्म के एक भी वचन को सुनकर आदि, धर्म का कामी होकर यावत् मोक्ष का पिपासु होकर, उस तरह के चित्तवाला, मनवाला, लेश्यावाला, अध्यवसायवाला होकर गर्भस्थ जीव यदि उस काल में मरण को प्राप्त हो तो वह देवलोक में उत्पन्न होता है ।
गर्भस्थ जीव गर्भ में मरकर यदि देवलोक में उत्पन्न हो तो मरणकाल में उस जीव के लेश्या परिणाम भी तदुपयुक्त होते हैं ।
* ११ लेश्या में विचरण करता हुआ जीव और जीवात्मा
अन्नउत्थियाणं भंते! एवमाइक्वंति जाव परूवेंति - एवं खलु पाणाइवाए, मुसावाए, जाव मिच्छा दंसणल्ले वट्टमाणस्स अन्ने जीवे अन्ने जीवाया, पाणाइवाय वेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे, कोह विवेगे जाव मिच्छादंसणसल्लविवेगे वट्टमाणस्स अन्ने जीवे अन्ने जीवाया ; उत्पत्तियाए जाव परिणामियाए वट्टमाणम्स अन्ने जीवे अन्ने जीवाया; उग्गहे ईहा अवाए धारणाए वट्टमाणस्स जाव जीवाया; उट्ठाणे जाव परकमे वट्टमाणस्स जाव जीवाया; नेरइयत्ते, तिरिक्खमणुस्सदेवत्ते वट्टमाणस्स जाव जीवाया ; नाणावरणिज्जे जाव अंतराइए वट्टमाणस्स जाव जीवाया, एवं कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए ; सम्म दिट्ठीए ३, एवं चक्खुदंसणे ४, आभिणिबोहियनाणे ५ मइअन्नाणे ३, आहांरसन्नाए ४ एवं ओरालियसरी रे ५ एवं मणजोए ३ सागारोवओगे अणागारोवओगे वट्टमाणस्स अण्णे जीवे अण्णे जीवाया; से कह मेयं भंते! एवं ? गोयमा ! जं णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति, जाव मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि - एवं खलु पाणाइवाए जाव मिच्छादंसणसल्ले वट्टमाणस्स सच्चैव जीवे सच्चेव जीवाया जाव अणागारोवओगे वट्टमाणस्स सच्चैव जीवे सच्चैव जीवाया ।
- भग० श १७ । २ । सु ६ । १० ७५६
प्राणातिपातादि १८ पापों में, प्राणातिपातविरमणादि १८ पाप - विरमणों में, औत्पातिकी आदि ४ बुद्धियों में, अवग्रह- ह - ईहा अवाय धारणा में, उत्थान यावत् पुरुषाकार पराक्रम में, नैरविकादि ४ गतियों में, ज्ञानावरणीय आदि आठ कर्मों
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