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लेश्या-कोश
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विवेचन गाथा, लेश्या सम्बन्धी फुटकर पाठ विद्वानों को पढ़ने और समझने योग्य है। सारांश यह कि लेश्या परिणामों का विस्तृत विवेचन जानना हो तो यह ग्रन्य बहुत उपयोगी है।
६ “विश्व-ज्योति' होशियारपुर-दिसम्बर १६६८ के अंक में
आलोच्य पुस्तक जन दर्शन के एक पारिभाषिक शब्द 'लेश्या' का क्रमबद्ध विषयानुक्रमिक पाठ-संकलन और उन पाठों की यथोचित व्याख्या प्रस्तुत करती है। इसके सम्पादकद्वय ने तत्त्वार्थ सूत्र तथा ३२ श्वेताम्बर जैन आगमों यत्र-तत्र बिखरे हुए लेश्या सम्बन्धी महत्वपूर्ण पाठों का एक पुस्तक में संकलन कर जैन दर्शन के शोध कर्ता व जिज्ञासु विद्वद्वर्ग के लिये एक अमूल्य निधि तैयार की है।
सम्पादकय का प्रयास अत्यन्त स्तुत्य है। हम आशा करते हैं कि वे इस कोश की तरह जन-विषय कोश-ग्रन्थमाला के प्रकाशन की अपनी दीर्घकालीन योजना के अन्तर्गत जैन दर्शन के अन्य विषयों से भी सम्बन्धित कोश तैयार कर साहित्य श्री की वृद्धि करेंगे।
-दामोदर शास्त्री एम० ए० ७ "जैन मित्र' सुरत-दिनांक २६ दिसम्बर ६८ के अंक में
जैन विषय कोश ग्रन्थमाला का यह प्रथम पुष्प है। इस कोश की रचना ३२ श्वेताम्बर जैन ग्रन्थ व कुछ दिगम्बर ग्रन्थों से की गई है।
आज तक ऐसा लेश्या कोश प्रथम बार ही प्रकट हुआ है। लेश्या का अर्थ मनुष्यों के परिणाम हैं व ६ लेश्या के वृक्ष की कथा तो सारे जैन समाज में प्रचलित है लेकिन इन लेश्याओं के अनेकानेक भेद-अभेद विस्तारपूर्वक इस कोश में मूल गाथाओं सहित बताये गये हैं।
सारांश कि लेश्या परिणामों का विस्तृत विवेचत जानना हो तो यह ग्रन्थ उपयोगी है तथा विद्वानों के लिये तो यह ग्रन्थ बहुत उपयोगी है। प्रत्येक जैन संस्था के लिये स्वाध्यायार्थ प्रकाशक से अवश्य मगावें।
८ "श्रेयोमार्ग' श्री महावीरजी-जनबरी ६६ के अंक में
प्रस्तुत लेश्या कोश-लेश्याओं के सम्बन्ध में श्वेताम्बर जैन आगमों के अनुसार संकलित एक बहुत बड़ा संग्रह है। लेश्या मार्गणा के सम्बन्ध में दिगम्बर जैन आगम व श्वेताम्बर जैन आगम दोनों में आचार्यों ने बहुत विस्तार से विवेचन
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