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लेश्या-कोश
४८३ तेजोलेश्या वाले जीव-(१) ज्योतिषी देव, (२) सौधर्म देव, (३) ईशान देव, (४) प्रथम किल्विषी देव ।
पद्मलेश्या वाले जीव-(१) सनत्कुमारदेव, (२) माहेन्द्रदेव, (३) ब्रह्मलोक देव, (४) द्वितीय किल्विषी देव ।
शुक्ललेश्या वाले जीव-(१) लान्तकदेव, (२) महाशुक्रदेव, (३) सहस्रार देव, (४) आनत देव, (५) प्राणत देव, (६) आरण देव, (७) अच्युत देव, (८) नब ग्रे वेयक देव, (६) विजय-अनुत्तरौपपातिक देव, (१०) वैजयन्त अनुत्तरौपपातिक देव, (११) जयन्त अनुत्तरौपपातिक देव, (१२) अपराजित अनुत्तरौपपातिक देव, (१३) सर्वार्थ सिद्धअनुत्तरौपपातिक देव ।
'६६ ३४.२ दो लेश्या वाले जीव
कृष्ण तथा नील लेश्या वाले जीव-(१) धूमप्रभा नारकी। नील तथा कापोत लेश्या वाले जीव-(१) बालुकाप्रभा नारकी।
"E३४३ तीन लेश्या वाले जीव
कृष्ण-नील-कापोत लेश्या वाले जीव-(१) नारकी, (२) अग्निकाय, (३) वायुकाय, (४) द्वीन्द्रिय, (५) त्रीन्द्रिय, (६) चतुरिन्द्रिय, (७) असंज्ञी तियंच पंचेन्द्रिय, (८) असंज्ञी मनुष्य, (९) सूक्ष्म स्थावर जीव, (१०) बादर निगोद जीव ।
तेजो-पद्म-शुक्ललेश्या वाले जीव-(१) वैमानिक देव, (२) पुलाक निग्नन्थ, (३) बकुश निम्रन्थ, (४) प्रतिसेवनाकुशील निनन्थ, (५) परिहारविशुद्ध संयती, (६) अप्रमादी साधु । .६९ ३४.४ चार लेश्या वाले जीव___ कृष्ण-नील-कापोत-तेजोलेश्या वाले जीव-(१) पृथ्वीकाय, (२) अप् - काय, (३) वनस्पतिकाय, (४) भवनपति देव, (५) वानव्यंतर देव, (६) यगलिया, (७) देवियाँ। 'EE३४.५ पांच लेश्या वाले जीव
कृष्ण यावत् पद्मलेश्या वाले जीव-(१) अपनी जघण्यस्थितिवाले पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी तिथंच पंचेन्द्रिय जीव जो सनत्कुमार, माहेन्द्र तथा ब्रह्मलोक देवों में उत्पन्न होने योग्य हैं।
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