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लेश्या-कोश '७३ ६ सलेशी वनस्पतिकायिक में कषायोपयोग के विकल्प
वनस्पतिकायिक के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी वनस्पतिकायिक में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने चाहिए । तेजोलेशी वनस्पतिकायिक में अस्सी विकल्प कहने चाहिए। ( देखो पाठ '७३.२)।
'७३ ७ सलेशी द्वीन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प. बेईदियतेई दियचउरिंदियाणं जेहिं ठाणेहिं नेरइयाणं असीइभंगा तेहिं ठाणेहिं असीईचेव, नवरं अब्भहिया सम्मत्ते आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे य, एएहिं असीइभंगा, जेहिं ठाणेहिं नेरइयाणं सत्तावीसं भंगा तेसु ठाणेसु सव्वेसु अभंगयं ।
-भग० श १ । उ ५ । सू १६३ । पृ. ४०१
द्वीन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी द्वीन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने चाहिए।
७३.८ सलेशी त्रीन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प
श्रीन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी श्रीन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने चाहिए ( देखो पाठ ७३.७ )।
'७३.६ सलेशी चतुरिन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प
चतुरिन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी चतुरिन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने चाहिए ( देखो पाठ ७३.७ )।
.७३.१० सलेशी तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प
पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया तहा भाणियब्वा, नवरं जेहिं सत्तावीसं भंगा तेहिं अभंगयं कायव्वं जत्थ असीई तत्थ असीई चेव ।
-भग० श १ । उ ५ । सू १६४ । पृ० ४०१-२
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