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लेश्या-कोश नारकी के सम्बन्ध में भी ऐसा ही कहना चाहिए। इसी प्रकार पंकप्रभा तथा धूमप्रभा पृथ्वी के नीललेशी क्षद्रकृतयुग्म नारकी के सम्बन्ध में जानना चाहिए । परन्तु उपपात की भिन्नता जाननी चाहिए। इसी प्रकार बाकी तीनों युग्मों में जानना चाहिए। लेकिन परिमाण की भिन्नता कृष्णलेशी उद्देशक से जाननी चाहिए।
__ कापोतलेशी क्ष द्रकृतयुग्म नारकी के सम्बन्ध में जैसा कृष्णलेशी क्षुद्रकृतयुग्म नारकी के उद्देशक में कहा वैसा ही कहना चाहिए लेकिन उपपात रत्नप्रभा में जैसा हो वैसा ही कहना चाहिए। रत्नप्रभा पृथ्वी के कापोतलेशी क्षद्रकृतयुग्म नारकी के सम्बन्ध में भी ऐसा ही कहना चाहिए। इसी प्रकार शर्कराप्रभा तथा वालुकाप्रभा पृथ्वी के कापोतलेशी क्षद्रकृतयुग्म नारकी के सम्बन्ध में भी कहना चाहिए परन्तु उपपात की भिन्नता जाननी चाहिए। इसी प्रकार बाकी तीनों युग्मों में जानना चाहिए लेकिन परिमाण की भिन्नता कृष्णलेशी उद्देशक से जाननी चाहिए।
कण्हलेस्सभवसिद्धियखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति ? एवं जहेव ओहिओ कण्हस्सउदेसओ तहेव निरवसेसं चउसु वि जुम्मेसु भाणियब्वो जाव अहेसत्तमपुढविकण्हलेस्स ( भवसिद्धिय ) खुड्डागकलिओगनेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति ? तहेव।
नीललेस्सभवसिद्धिया चउसु वि जुम्मेसु तहेव भाणियव्वा जहा ओहिए नीललेस्सउद्देसए।
काऊलेस्सभवसिद्धिया चउसु वि जुम्मेसु तहेव उववाएयव्वा जहेव ओहिए काऊलेस्सउहेसए।
जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि उद्देसगा भणिया एवं अभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उहेसगा भाणियव्वा जाव काऊलेस्सा उद्देसओ ति।।
एवं सम्मदिट्ठीहि वि लेस्सासंजुत्तेहिं चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवर सम्मदिट्ठी पढमबिइएसु वि दोसु वि उद्देसगेसु अहेसत्तमापुढवीए न उववाएयव्वो, सेसं तं चेव ।
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