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लेश्या - कोश
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बहुत क्षेत्र को नहीं देखता है, दूर क्षेत्र को नहीं जानता है, दूर क्षेत्र को नहीं देखता है, कुछ कम - अधिक क्षेत्र को जानता है, कुछ कम अधिक क्षेत्र को देखता है । जैसे - यदि कोई पुरुष बराबर समान तथा रमणीक भूमि भाग पर खड़ा होकर चारों तरफ देखता हो तो वह पुरुष पृथ्वीतल में रहनेवाले पुरुष की अपेक्षा चारों तरफ देखता हुआ बहुतर क्षेत्र तथा दूरंतर क्षेत्र को जानता नहीं है, देखता नहीं है । कुछ अल्पाधिक क्षेत्र को जानता है, देखता है । इसी तरह कृष्णलेशी नारकी अन्य कृष्णलेशी नारकी की अपेक्षा कुछ अल्पाधिक क्षेत्र को जानता है, देखता है ।
नीलेशी नारकी कृष्णलेशी नारकी की अपेक्षा अवधिज्ञान द्वारा चारों दिशाओं में तथा चारों विदिशाओं में देखता हुआ अधिकतर क्षेत्र को जानता है, देखता है । दूरतर क्षेत्र को जानता है, देखता है; विशुद्धतर क्षेत्र को जानता है, देखता है, जैसे—यदि कोई पुरुष बराबर बहुसम रमणीक भूमि-भाग से पर्वत पर चढ़कर चारों दिशाओं व चारों विदिशाओं में देखता हो तो वह पुरुष पृथ्वीतल के ऊपर रहे पुरुष की अपेक्षा चारों तरफ अधिकतर क्षेत्र को जानता है, देखता है; दूरतर क्षेत्र को जानता है व देखता है; विशुद्धतर क्षेत्र को जानता हैव देखता है ।
कापोतलेशी नारकी नीललेशी नारकी की अपेक्षा अवधिज्ञान द्वारा चारों दिशाओं व चारों विदिशाओं में देखता हुआ अधिकतर क्षेत्र को जानता है व देखता है ; दूरतर क्षेत्र को जानता है व देखता है; विशुद्धतर क्षेत्र को जानता है व देखता है । जैसे— कोई पुरुष बराबर सम रमणीक भूमि से पर्वत पर चढ़कर तथा दोनों पर ऊँचे उठाकर चारों दिशाओं में तथा चारों विदिशाओं में देखता हो तो वह पुरुष पर्वत पर चढ़े हुए तथा पृथ्वीतल पर खड़े हुए पुरुषों की अपेक्षा चारों दिशाओं में तथा चारों विदिशाओं में अधिकतर क्षेत्र को जानता है व देखता है दूरतर क्षेत्र को जानता है, देखता है; विशुद्धतर क्षेत्र को जानता है व देखता है ।
७० सलेशी जीव और अनन्तर भव में मोक्ष प्राप्ति७०१ कापोतलेशी जीव की अनन्तर भव में मोक्ष प्राप्ति
! कालेस्से पुढविकाइए काऊलेस्सेहिंतो पुढविकाइएहिंतो अनंतरं उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गदं लभइ, माणुसं विग्गहं लभइत्ता केवलं बोहिं बुज्झइ केवलं बोहिं बुज्झइत्ता तओ पच्छा
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