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लेश्या-कोश
१८९ .५८ ३.१) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में आदि की तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छ लेश्या होती हैं।
-भग० श २४ । उ १ । सू ७४, ७५ पृ० ८२१ '५८ ६ २ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से तमप्रभापृथ्वी नारकी
__में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक-१-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से तमप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ·५८ ३.२ ) उनमें नौ गमकों में ही छ लेश्या होती हैं।
-भग० श २४ । उ १ । सू १०१-१०४ । पृ० ८४ .५८ ७ तमतमाप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में५८.७.१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से तमतमाप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पजत्तसंखेजवासाउय० जाव-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइएसु उववज्जित्तए xxx ते णं भंते ! जीवा० एवं जहेव रयणप्पभाए णव गमगा लद्धी वि सच्चेव x x x सेसं तं चेव, जाव-'अनुबंधो'त्ति । x x x ।-प्र ७६, ७७ । ग० १। सो चेव जहनकालट्ठिईएसु उववन्नो० सच्चेव वत्तव्वया जाव-भवादेसों त्ति x x x प्र७८ । ग०२। सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववन्नो० सच्चेव लद्धी जाव–'अणुबंधो'त्ति x x x ।-प्र०७६ । ग०३ । सो चेव अप्पणा जहन्नकालहिईओ जाओ० सच्चेव रयणप्पभपुढविजहन्नकालढिईयवत्तव्वया भाणियव्वा, जाव 'भवादेसो'त्ति xxx-प्र ८० । ग०४ । सो चेव जहन्नकाल ट्ठिएसु उववन्नो० एवं सो चेव चउत्थो गमओ निरवसेसो भाणियव्वो, जाव-'कालादेसो' त्ति-प्र ८१ । ग०५। सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववनो० सच्चेव लद्धी जाव'अणुबंधो'त्ति x x x -प्र ८२। ग०६। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जहन्नेणं x x x ते णं भंते !० अवसेसा सच्चेव सत्तमपुढविपढमगमगवत्तव्वया भाणियन्वा, जाव-भवाएसो'त्ति xxx सेसं तं चेव-प्र ८४ । ग०७ । सो चेव जहन्नकालट्ठिएसु उववन्नो०
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