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लेश्या-कोश सच्चेव लद्धी x x x सत्तमगमगसरिसो-प्र ८५ । ग०८ । सो चेव. उकोसकालट्ठिएसु उववन्नो० एस चेव लद्धी जाव-'अणुबंधो'त्ति-प्र ८६ । ग०६) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छः लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में आदि की तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छः लेश्या होती हैं । ( '५८.१२ )।
-भग० श २४ । उ १ । सू ७६-८६ । पृ० ८२१-२२
"५८ ७.२ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से तमतमाप्रभापृथ्वी
के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीव में
गमक-१-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से तमतमाप्रभाथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पजत्तसंखेजवासाउयसनिमणुस्से णं भंते ! जे भविए अहेसत्तमाए पुढवि (वीए ) नेरइएसु उववजित्तए x x x ते णं भंते ! जीवा० x x x अवसेसो सो चेव सक्करप्पभापुढविगमओ णेयव्वो x x x सेसं तं चेव जाव-अणुबंधो'त्ति x x x । ग० १ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नोएस चेव वत्तव्वया x x x । ग०२। सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववन्नो-एस चेव वत्तव्वया xxx । ग० २। सो चेव उक्कोसकालट्ठिएसु उववन्नो-एस चेव वत्तव्वया x x x । ग०३ । सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ, तस्स वि तिसु वि गमएसु एस चेव वत्तव्वया x x x । १० ४-६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकालहिईए जाओ, तस्स वि तिसु वि गमएसु एस चेव वत्तव्वया xx x | ग० ७-६) उनमें नौ गमकों ही में छः लेश्या होती है ( "५८ २.२ )।
-भग० श २४ । उ १ । सू १०५, ११० । पृ० ८२४-२५ '५८ ८ असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य अन्य गति के जीवों में- . "५८८.१ पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न
होने योग्य जीवों मेंगमक-१-६ पर्याप्त असंज्ञीपंचेन्द्रिय तिर्यश्च योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जत्तअसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते !
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