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लेश्या-कोश
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सेसं तं चेव x x x एवं णव वि गमगा०xxx एवं जाव-अच्चुयदेवो x x x ) उनमें नौ गमकों में ही एक शुक्ललेश्या होती है । ( देखो पाठ '५८ १६.२८7 .५८ १८ ३१ )
--भग० श २४ । उ २१ । सू १०-११ । पृ० ८४५ .५८ १६ ३० मे वेयक कल्पातीत ( नौ ग्न वेयक ) देवों से मनुष्य योनि में उत्पन्न
होने योग्य जीवों में गमक-१-६ वेयक कल्पातीत देवों से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( गेवेजगदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उवज्जित्तए x x x अवसेसं जहा आणयदेवस्स वत्तव्वया x x x सेसं तं चेव । xxx एवं सेसेस वि अट्ठगमएसु x x x ) उनमें नौ गमकों में ही एक शुक्ललेश्या होती है । ( देखो पाठ .५८ १६.२६ )
-भग० श २४ । उ २१ । सू १४ । पृ० ८४६ .५८.१६ ३१ विजय, वैजयन्त, जयन्त तथा अपराजित अनुत्तरौपपातिक कल्पातीत
देवों से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों मेंगमक-१-१ विजय, वैजयन्त, जयन्त तथा अपराजित अनुत्तरौपपातिक कल्पातीत देवों से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (विजयवेजयंत-जयंत-अपराजियदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए xxx एवं जहेव गेवेज्जगदेवाणं ।x x x एवं सेसा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा x x x सेसं तं चेव ) उन में नौ गमकों में ही एक शुक्ललेश्या होती है । ( देखो पाठ '५८ १९ ३० )
-भग० श २४ । उ २१ । सू १६ । पृ० ८४६ .५८ १९ ३२ सर्वार्थसिद्ध अनुत्तरोपपातिक कल्पातीत देवों से मनुष्य योनि में
उत्पन्न होने योग्य जीवों मेंगमक-१-६ सर्वार्थसिद्ध अनुत्तरौपपातिक कल्पातीत देवों से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (सव्वट्ठसिद्धगदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उवव जित्तए० ? सा चेव विजयादिदेववत्तव्वया भाणियव्वा xxx सेसं तं चेव xxx-प्र० १७ । ग० १ । सो चेव जहन्नकाल
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