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लेश्या - कोश
२५३
इसी प्रकार ज्योतिषी तथा वैमानिक देवों के सम्बन्ध में कहना । लेकिन जिसके जो लेश्या हो, वही कहनी । ज्योतिषी तथा वैमानिक देवों के मरण के स्थान पर च्यवन शब्द का प्रयोग करना चाहिए ।
तदेवमेकै कलेश्याविषयाणि चतुर्विंशतिदंडकक्रमेण नैरयिकादीनां सूत्राण्युक्तानि । तत्र कश्चिदाशंकेत - प्रविरले के कनारकादिविषयमेतत् सूत्रकदम्बकं, यदा तु बहवो भिन्नलेश्याकास्तस्यां गतावुत्पद्यन्ते तदाऽन्यथाऽपि वस्तुगतिर्भवेत, एकैकगतधर्मापेक्षया समुदायधर्मस्य क्वचिदन्यथाऽपि दर्शनात् । ततस्तदाशंकाऽपनोदाय येषां यावत्यो लेश्याः सम्भवन्ति तेषां युगपत्ताबलेश्याविषयमेकैकं सृत्रमनन्तरोदितार्थमेव प्रतिपादयति- 'से नूणं भंते ! कण्हलेसे नीललेसे काऊलेसे नेरइए कण्हलेसेसु नीललेसेसु काऊलेसेसु नेरइएस उववज्जइ' इत्यादि, समस्तं सुगमं ।
- पण ० प १७ | उ ३ । सू २८ टीका
इस प्रकार एक-एक लेश्या के सम्बन्ध में चौबीस दण्डक के क्रम से नारकी आदि के सम्बन्ध में सूत्र कहने चाहिए। उसमें यदि कोई यह आशंका करे कि विरल एक-एक नारकी के सम्बन्ध में यह सूत्र - समूह है तथा यदि भिन्न-भिन्न लेश्यावाले बहुत नारकी आदि उस गति में एक साथ उत्पन्न हों तो वस्तुस्थिति अन्यथा भी हो सकती है ; क्योंकि एक-एक व्यक्ति के धर्म की अपेक्षा समुदाय का धर्म क्वचित् अन्यथा भी जाना जाता है । अतः इस आशंका को दूर करने के लिए जिसमें जितनी लेश्याएं सम्भव हों उतनी लेश्याओं को एक साथ लेकर एक-एक सूत्र उपर्युक्त पाठ में कहा है ।
*६७२ एक लेश्या से परिणमन करके दूसरी लेश्या में उत्पत्ति*६७*२·१ नारकी में उत्पत्ति-
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से नूणं भंते! कण्हलेस्से नीललेस्से जाव सुकलेस्से भवित्ता कण्हलेस्सेसु नेरइएस उववज्जंति ? हंता गोयमा ! कण्हलेस्से जाव ववज्जंति सेकेण णं भंते! एवं वुच्चइ - कण्हलेस्से जाव उववज्जंति ? गोमा ! लेस्साणे संकिलिस्समाणेसु-संकिलिस्समाणेसु कण्हलेस्सं परिणम कण्हलेस्सं परिणमत्ता कण्हलेस्सेसु नेरइएस उववज्जंति, से तेण ेणं जाव - उववज्र्ज्जति ।
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