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लेश्या-कोश सर्व सलेशी नारकी समाहारी, समशरीरी, समोच्छवासनिश्वासी, समकर्मी, समवर्णी, समलेशी, समवेदनावाले, समक्रियावाले, समायुष्यवाले तथा समोपपन्नक नहीं हैं।
देखो औधिक गमक-पण्ण० प १७ । उ १ । सू १ से ६ । पृ० ४३४-३५
सर्व सलेशी असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार समाहारी यावत् समोपपन्नक नहीं हैं।
देखो-पण्ण० प १७ । उ १ । सू ७ । पृ० ४३५-३६
सर्व सलेशी पृथ्वीकाय समाहारी, समकर्मी, समवर्णी तथा समलेशी समायुष्यवाले तथा समोपपन्नक नहीं हैं लेकिन समवेदनावाले तथा समक्रियावाले हैं । इसी प्रकार यावत् चतुरिन्द्रिय तक जानना ।
देखो-पण्ण० १७ । उ १ । सू८ । पृ० ४३६
सर्व सलेशी तिर्यच पंचेन्द्रिय सलेशी नारकी की तरह समाहारी यावत् समोपपन्नक नहीं हैं।
देखो-पण्ण० प १७ । उ १ । सू ८ । पृ० ४३६
सर्व सलेशी मनुष्य समाहारी यावत् समोपपन्नक नहीं हैं।
देखो-पण्ण० प १७ । उ १ । सू ६ । पृ० ४३६-३७ सर्व सलेशी वानव्यं तर देव असुरकुमार की तरह समाहारी यावत् समोपपन्नक नहीं हैं।
देखो-पण्ण० प १७ । उ १ । सू १० । पृ० ४३७
सर्व ज्योतिष-वैमानिक देव भी असुरकुमार की तरह समाहारी यावत समोपपन्नक नहीं हैं।
देखो-पण्ण० प १७ । उ १ । सू १० । पृ० ४३७ ६१.२ कृष्णलेशी जीव-दण्डक और समपद
कण्हलेस्सा णं भंते ! नेरइया सव्वे समाहारा पुच्छा ? गोयमा! जहा ओहिया, नवरं नेरइया वेयणाए माइमिच्छदिट्ठीउववन्नगा य अमाइसम्म दिट्ठीउववन्नगा य भाणियव्वा, सेसं तहेव जहा ओहि
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