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लेश्या-कोश
२४३ कृष्णलेशी जीव की कृष्णलेशीत्व की अपेक्षा जघन्य स्थिति अंतमुहूर्त की तथा उत्कृष्ट स्थिति साधिक अंतमुहूर्त तेतीस सागरोपम की होती है । .६४.३ नीललेशी जीव की स्थिति
(क) नीललेस्से णं भंते ! नीललेसेत्ति पुच्छा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दससागरोवमाइ पलिओवमासंखिजइभागमब्भहियाई।
-पण्ण० प १८ । द्वा ८ । सू ६ । पृ० ४५६ (ख) नीललेस्से णं भंते ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दससागरोवमाइ पलिओवमस्स असंखेज्जइभागमब्भहियाई।
-जीवा० प्रति ६ । सू २६६ । पृ० २५८ नीललेशी जीव की नीललेशीत्व की अपेक्षा जघन्य स्थिति अन्तर्महर्त की तथा उत्कृष्ट स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दस सागरोपम की होती है। '६४°४ कापोतलेशी जीव की स्थिति
(क) काऊलेसे णं पुच्छा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिनि सागरोवमाइ पलिओवमासंखिज्जइभागमभहियाइ।
–पण्ण० प १८ । द्वा ८ । सू ६ । पृ० ४५६ (ख) काऊलेस्से णं भंते ! जहन्नेणं अंतोमुहुन्तं, उक्कोसेणं तिन्नि सागरोवमाइ पलिओवमस्स असंखेज्जइभागमभिहियाइ।
-जीवा० प्रति ६ । सू २६६ । पृ० २५८ कापोतलेशी जीव की कापोतलेशीत्व की अपेक्षा जघन्य स्थिति अन्तर्मुहर्त की की तथा उत्कृष्ट स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक तीन सागरोपम की होती है। .६४.५ तेजोलेशी जीव की स्थिति
(क) तेऊलेस्से णं पुच्छा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दो सागरोवमाई पलिओवमासंखिज्जइभागमब्भहियाइ।
-पण्ण० प १८ । द्वा ८ । सू । पृ० ४५६
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