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लेश्या - कोश
(ख) तेऊलेस्से णं भंते ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दोष्णि सागरोवमाइ पलिओवमस्स असंखेज्जइभागमब्भहियाई । - जीवा० प्रति । सू २६६ । पृ० २५८
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तेजोलेशी जीव की तेजोलेशीत्व की अपेक्षा जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की तथा उत्कृष्ट स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दो सागरोपम की होती है । *६४६ पद्मलेशी जीव की स्थिति-
(क) पहले से णं पुच्छा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई ।
- पण्ण० प १८ द्वासू । पृ० ४५६ (ख) पहले से णं भंते ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमम्भहियाई ।
- जीवा० प्रति । सू २६६ । पृ० २५८
पद्मलेशी जीव की पद्मलेशीत्व की अपेक्षा जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की तथा उत्कृष्ट स्थिति साधिक अन्तर्मुहूर्त दस सागरोपम की होती है ।
*६४*७ शुक्ललेशी जीव की स्थिति
(क) सुक्कलेसे णं पुच्छा ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेन्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमम्भहियाई ।
-- पण ० प १८ द्वा८ । सू । पृ० ४५६
(ख) सुकक्लेस्से णं भंते ? गोयमा ! जहन्नेणं अंत्तो मुहुत्तं, उक्को सेणं तेत्तीस सागरोवमाई अन्तोमुहुत्तमब्भहियाइ ।
— जीवा० प्रति । सू २६६ | पृ० २५८
शुक्ललेशी जीव की शुक्ललेशीत्व की अपेक्षा जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की तथा उत्कृष्ट स्थिति साधिक अन्तर्मुहूर्त तेतीस सागरोपम की होती है ।
*६४'८ अलेशी जीव की स्थिति
(क) अलेस्से णं - पुच्छा ?
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गोयमा ! साइए अपज्जवसिए ।
- पण ० प १८ । द्वा८ । सु । पृ० ४५६
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