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लेश्या - कोश
- १६ संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से पंचेन्द्रिय तिर्य ंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( सन्निमणुस्से णं भंते! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोगिएसु उववज्जित्तए x x x ते णं भंते !० ली से जहा एयस्सेव सन्निमणुस्सस्स पुढविक्काइएस उववज्जमाणस्स पढमगमए जाव - 'भवाएसो 'त्ति x x x - प्र ३८ । ग० १ । सो चेव जहन्नका लट्ठिइएस उववन्नो, एस चेव वत्तव्वया XXX - प्र ३६ | ग० २। सो चेव उक्कोसका लट्ठिईएस उववन्नो × × × सच्चेव वत्तव्वया × × × - प्र ४० । ग० ३ । सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिइओ जाओ, जहा सन्निपंचिदिद्यतिरिक्खजोणियस्स पंचिदियतिरिक्खजोणिएस उववज्जमाणस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु वत्तव्वया भणिया एस चेव एयस्स वि मज्झिमेसु तिसु गमएस निरवसेसा भाणियव्वा × × ×—प्र ४१ । ग० ४ - ६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसका लट्ठिइओ जाओ सच्चेव पढमगमंगवत्तत्व्वया x x x - प्र ४२ । ग० ७ । सो चेव जहन्नकालट्ठिएस उववन्नो, एस चैव वक्तव्वया x x x –४३ । ग० ८ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिइएस उववन्नो xxx एस चैव लद्धी जहेव सत्तमगमए xxx - प्र ४४ । ग० ६ ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छः लेश्या ( देखो ५८ १०१२ ), मध्यम के तीन गमकों में तीन लेश्या ( देखो '५८ १८ १७ ) तथा शेष के तीन गमकों में छः लेश्या होती है ।
- भग० श २४ । उ२० । सू ३७-४४ । पृ० ८४२-४३ ५८१८२० असुरकुमार देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
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गमक - १-६ असुरकुमार देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असुरकुमारे णं भंते! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएस उववज्जित xxx । असुरकुमाराणं लद्धी णवसु वि गम जहा पुढविकाइएस उववज्जमाणस्स, एवं जाव - ईसाणदेवस्स तहेव लद्धी xxx ) उनमें नौ गमकों में ही प्रथम चार लेश्या होती है । ( देखो ५८ १० १३ )
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- भग० श २४ । उ २० | सू ४७ | पृ० ८४३
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