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लेश्या-कोश
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गमक- १-६ ब्रह्मलोक कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ५८१८२६ ) उनमें नव गमकों में ही एक पद्मलेश्या होती है ।
- भग० श २४ । उ २० । ५४ । पृ० ८४४
५८ १८२६लांतक कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक- १-६ लांतक कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जीव हैं ( एवं ईसाणदेवे वि एवं एएणं कमेणं अवसेसा वि जाव - सहस्सारदेवेसु उववाए यव्वा । नवरं x x x लेस्सा सणकुमार - माहिंद - बंभलोएस एगा पम्हलेस्सा, सेसाणं एगा सुकलेस्सा × × × ) उनमें नौ गमकों में ही एक शुक्ललेश्या होती है ।
- भग० श २४ । उ २० । सू ५४ | पृ० ८४४
*५८ १८३० महाशुक्र कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक - १ - १ महाशुक्र कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ५८१८२६ ) उनमें नौ गमकों में ही एक शुक्ललेश्या होती है ।
- भग० स २४ । उ २० । सू ५४ | पृ० ८४४ '५८'१८'३१ सहस्रार कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक - १ - ६ सहस्रार कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ५८ १८२६ ) उनमें नौ गमकों में ही एक शुक्ललेक्या होती है ।
-भग० श २४ । उ २० । ५४ । पृ० ८४४
*५८१६ मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में—
५८ १६१ रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य
जीवों में
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