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लेश्या-कोश
१९९ .५८१०.११ असंज्ञी मनुष्य से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य
जीवों मेंगमक-१-६ असंज्ञी मनुष्य से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असन्निमणुस्से गं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु० से गं भंते! xxx एवं जहा असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स जहन्नकाल ट्ठिई यस्स तिनि गमगा तहा एयस्स वि ओहिया तिनि गमगा भाणियव्वा तहेव निरवसेस, सेसा छ न भण्नंति ) उनमें औधिक तीन ही गमक होते हैं तथा इन तीनों गमकों में ही तीन लेश्या होती हैं। शेष छः गमक नहीं होते हैं।
--भग० श २४ । उ १२ । सू ३६ । पृ० ८३४ ५८.१०.१२ ( पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले ) संज्ञी मनुष्य से पृथ्वीकायिक
____ जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों मेंगमक-१-६ ( पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले ) संज्ञी मनुष्य से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( सनिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जित्तए xxx ते णं भंते ! जीवा० एवं जहेव रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स तहेव तिसु वि गमएस लद्धीxxx मज्जिल्लएसु तिसु गमएसु लद्धी जहेव सन्निपंचिंदियस्स, सेसं तं चेव निरवसेसं, पच्छिल्ला तिन्नि गमगा जहा एयस्स चेव ओहिया गमगा ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छ लेश्या होती हैं ।
-भग० श २४ । उ १२ । सू ३६, ४० । पृ० ८३४-३५ '५८.१०.१३ असुरकुमार देवों से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य
जीवों मेंगमक–१-६ असुरकुमार देवों से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असुरकुमारे णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए-प्र ४३ । तेसि णं भंते ! जीवाणं x x x लेस्साओ चत्तारि xxx एवं णव वि गमा णेयव्वा-प्र४७ ) उनमें नौ गमकों में ही चार लेश्या होती हैं।
-भग० श २४ । उ १२ । सू ४३, ४७ । पृ० ८३५
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