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लेश्या-कोश जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो x x x -प्र६। ग० २। एवं सेसा वि सत्त गमगा भाणियव्वा जहेव नेरइयउसए सन्निपंचिदिएहिं समंप्र६ । ग० ३-६ ) उनमें नौ गमकों में ही एक कापोत लेश्या होती हैं ।
-भग० श २४ । उ २० । सू ३-६ । पृ० ८३८
'५८ १८.२ शर्कराप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने
योग्य जीवों मेंगमक–१-६ शर्कराप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( सकरप्पभापुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए० ? एवं जहा रयणप्पभाए णव गमगा तहेव सक्करप्पभाए वि x x x एवं जाव-छहपुढवी । नवरं ओगाहणा-लेस्सा-ठिइ-अणुबंधा संवेहो य जाणियव्वा ) उनमें नौ गमकों में ही एक कापोत लेश्या होती हैं।
-भग० श २४ । उ २० । सू ७ । पृ० ८३६ •५८.१८'३ बालुकाप्रभापथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न
होने योग्य जीवों में
गमक-१-६ बालुकाप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ऊपर '५८.१८.२ ) उनमें नौ गमकों में ही नील तथा कापोत दो लेश्या होती हैं ( .५३.४ )।
-भग० श २४ । उ २० । सू ७ । पृ० ८३६ '५८.१८४ पंकप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने
योग्य जीवों में
गमक-१-६ पंकप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ऊपर .५८ १८ २ ) उनमें नौ गमकों में ही एक नील लेश्या होती हैं । ( .५३.५ )
-भग० श २४ । उ २० । सू ७ । पृ० ८३६
.५८ १८.५ धूमप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने
योग्य जीवों में
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