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________________ २०४ लेश्या-कोश जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो x x x -प्र६। ग० २। एवं सेसा वि सत्त गमगा भाणियव्वा जहेव नेरइयउसए सन्निपंचिदिएहिं समंप्र६ । ग० ३-६ ) उनमें नौ गमकों में ही एक कापोत लेश्या होती हैं । -भग० श २४ । उ २० । सू ३-६ । पृ० ८३८ '५८ १८.२ शर्कराप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों मेंगमक–१-६ शर्कराप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( सकरप्पभापुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए० ? एवं जहा रयणप्पभाए णव गमगा तहेव सक्करप्पभाए वि x x x एवं जाव-छहपुढवी । नवरं ओगाहणा-लेस्सा-ठिइ-अणुबंधा संवेहो य जाणियव्वा ) उनमें नौ गमकों में ही एक कापोत लेश्या होती हैं। -भग० श २४ । उ २० । सू ७ । पृ० ८३६ •५८.१८'३ बालुकाप्रभापथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक-१-६ बालुकाप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ऊपर '५८.१८.२ ) उनमें नौ गमकों में ही नील तथा कापोत दो लेश्या होती हैं ( .५३.४ )। -भग० श २४ । उ २० । सू ७ । पृ० ८३६ '५८.१८४ पंकप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक-१-६ पंकप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ऊपर .५८ १८ २ ) उनमें नौ गमकों में ही एक नील लेश्या होती हैं । ( .५३.५ ) -भग० श २४ । उ २० । सू ७ । पृ० ८३६ .५८ १८.५ धूमप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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