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लेश्या - कोश
*५८६३ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक- १-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जत्तसंखेज्जवासाउय० जाव - जे भविए नागकुमारेसु उववज्जित्तए x x x एवं जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स वत्तव्वया तहेव इह वि णवसु वि गमएसु xxx सेसं तं चेव ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में प्रथम की चारलेश्या तथा शेष के तीनगमकों में छ लेश्या होती हैं ।
-भग० श २४ । उ ३ । स ११ । पृ० ८२८
·५८'ε'४ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में—
गमक- १-१ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असंखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते! जे भविए नागकुमारेसु उववज्जिन्त्तए xxx एवं जहेव असंखेज्जवासाउयाणं तिरिक्खजोणियाणं नागकुमारेसु आदिल्ला तिन्नि गमगा तहेव इमस्स वि x x x सेसं तं चेव - सू १३ | ग० १- ३ । सो चेव अप्पणा जन्नका लट्ठिईओ जाओ, तस्स तिसु वि गमएसु जहा तस्स चेव असुरकुमारेसु उववज्ज माणस्स तहेव निरवसेसंसू १४ । ग० ४-६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिओ जाओ, तस्स तिसु वि गमएस जहा तस्स चेव उक्कोस्सका लट्ठिइयस्स असुरकुमारेस उववज्जमाणम्स - X xx सेसं तं चैव - सू १५ । ग० ७-६ ) उनमें नौ गमकों ही में प्रथम की चार लेश्या होती हैं । ( देखो '५८'ε'२–ग० १-३ । '५८'८'४ – ग० ४-६ ) ।
— भग० श २४ | उ ३ । सू १३-१५ | पृ० ८२८-२६
*५८५ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से नागकुमार देवों में
उत्पन्न होने योग्य जीवों में
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