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लेश्या-कोश सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए. x x x ते णं भंते ! जीवा० x x x एवं एएसिं रयणप्पभपुढविगमगसरिसा नव गमगा णेयव्वा । नवरं जाहे अप्पणा जहन्नकालट्टिईओ भवइ, ताहे तिसु वि गमएसु इमं णाणत्तं-चत्तारि लेस्साओ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या, मध्यम के ती। गमकों में प्रथम की चार लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छ लेश्या होती हैं ( ५८.१.२)।
-भग० २४ । उ २ । सू १६, १७ । पृ. ८२७ "५८'८'४ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से असुरकुमार देवों में उत्पन्न
होने योग्य जीवों मेंगमक-१-६ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असंखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए x x x एवं असंखेज्जवासाउयतिरिक्खजोणियसरिसा आदिल्ला तिन्नि गमगा णेयव्वा xxx -प्र २०। ग० १-३। सो चेव अप्पणा जहन्नकालटिईओ जाओ, तस्स वि जहन्नकालट्ठिईयतिरिक्खजोणियसरिसा तिन्नि गमगा भाणियव्वा xxx सेसं तं चेव-प्र० २१ । ग० ४-६। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ, तस्स वि ते चेव पच्छिल्लगा तिन्नि गमगा भाणियव्वा-प्र० २२ । ग०७-६) उनमें नौ गमकों ही में आदि की चार लेश्या होती हैं ( .५८ ८ २ )।
-भग० श २४ । उ २ । सू २०, २२ । पृ० ८२७ "५८ ८.५ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से असुरकुमार देवों में
उत्पन्न होने योग्य जीवों मेंगमक-१-६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जतसंखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए xxx ते गं भंते ! जीवा० ? एवं जहेव एएसिं रयणप्पभाए उववज्जमाणाणं णव गमगा
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