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लेश्या - कोश
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तव इह वि णव गमगा भाणियब्वा x x x सेसं तं चेव ) उनमें नौ गमकों में ही छ लेश्या होती हैं ( देखो ५८·१३ ) ।
*५८६ नागकुमार यावत् स्तनितकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में५८.६१ पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गनक - १-६ पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( नागकुमारा णं भंते x x x जइ तिरिक्ख० ? एवं जहा असुरकुमाराणं वत्तव्वया तहा एएसिं वि जाव'असन्नि' त्ति ) उनमें नौ गमकों में ही प्रथम की तीन लेश्या होती हैं । - भग० श २४ । उ ३ । सू १-२ | पृ० ८२८ *५८'ε'२ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक- १-६ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से नाग कुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असंखेज्जवासाउयसन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए नागकुमारेसु उववजित्तए x x x ते णं भंते! जीवा० अवसेसो सो चेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स गमगो भाणियव्वो जाव - 'भवाएसो 'त्ति × × × – प्र० ५ । ग० १ । सो चेव जहन्नकालट्टिईएस उववन्नो, एस चेव वत्तव्वया × × × प्र० ६ । ग० २ । सो चेव उक्कोसका लट्ठिईएस उववन्नो, तस्स विएस चैव वत्तव्वया xxx सेसं तं चैव जाव - 'भवाएसो 'त्ति - प्र० ७ । ग० ३ । सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ, तस्स वितिसु वि गमएस जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स जहन्नकालट्ठियस तव निरवसेसं - प्र० ८ । ग०४-६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसका लट्ठिईओ जाओ, तस्स वि तहेव तिन्नि गमगा जहा असुरकुमारेसु उववज्ज माणस्स xxx सेसं तं चेव - प्र० ६ । ग० ७-६ ) उनमें नव गमकों में ही प्रथम की चार लेश्या होती हैं ( देखो ५८८२ )
- भग० श २४ । उ ३ । सू ४-६ । पृ० ८२८
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