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लेश्या-कोश
( औधिक ) पंचेन्द्रिय के छः लेश्या होती है।
समूच्चय गाथा कण्हानीलाकाऊतेऊलेस्सा य भवणवंतरिया । जोइससोहम्मीसाणे तेउलेम्सा मुणेयव्वा ॥ कप्पेसाणकुमारे माहिंदे चेव बंभलोए य । एएसु पम्हलेस्सा तेणं परं सुक्कलेस्साओ॥ पुढवीआउवणस्सइ बायर पत्तेय लेस्स चत्तारि । गब्भयतिरयनरेसु छल्लेस्सा तिणि सेसाणं ॥
-संग्रह गाथा -भग० श १ । उ २ । सू ६७ टीका से
भवनपति तथा वाणव्यंतर देव में चार लेश्या, ज्योतिष-सौधर्म-ईशान देव में तेजो लेश्या, सनत्कुमार-माहेन्द्र-ब्रह्म देव में पद्म लेश्या, लांतक से अनुत्तरोपपातिक देव में शुक्ललेश्या, पृथ्वीकाय-अपकाय, बादर प्रत्येक शरीरी वनस्पतिकाय में चार लेश्या, गर्भज तिर्यञ्च-मनुष्य में छः लेश्या, शेष जीवों में तीन लेश्या होती है।
'२७ गुणस्थान के अनुसार जीवों में २७.१ (क) प्रथम गुणस्थान के जीवों में छः लेश्या होती है।
(ख) द्वितीय गुणस्थान के जीवों में-छः लेश्या होती है । (ग) तृतीय गुणस्थान के जीवों में-छः लेश्या होती है। (घ) चतुर्थ गुणस्थान के जीवों में—छः लेश्या होती है। (ङ) पंचम गुणस्थान के जीवों में छः लेश्या होती है। (च) षष्ठम गुणस्थान के जीवों में-छः लेश्या होती है । (छ) सप्तम गुणस्थान के जीवों में-अन्तिम तीन लेश्या होती है । (ज) अष्टम गुणस्थान के जीवों में—एक शुक्ल लेश्या होती है। (झ) नवम गुणस्थान के जीवों में-एक शुक्ल लेश्या होती है। (ट) दशम गुणस्थान के जीवों में
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