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निग्रन्थ में एक लेश्या होती है ।
च - स्नातक में
सिणाए पुच्छा । गोयमा ! जइसलेस्से होज्जा से णं भंते! एगाए परमसुकलेस्साए होजा ।
लेश्या - कोश
-
स्नातक सलेशी तथा अलेशी दोनों होते हैं जो सलेशी होते हैं उनमें एक परम शुक्ललेश्या होती है ।
छ सामायिक चारित्र वाले संयति में
झ
- भग० श २५ । उ ६ । सू ३७६, ३८० | पृ० १४८
सलेस्से वा होज्जा, अलेस्से वा होजा, कइसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा !
सामाइयसंजए णं भंते! किं सलेस्से होजा, अलेस्से होजा ? गोयमा ! सलेस्से होजा जहा कसायकुसीले ।
सामायिक चारित्र वाले संयति में छः लेश्या होती है |
ज
- छेदोपस्थापनीय चारित्र वाले संयति में
एवं छेदोवावणिए वि ।
- भगः श २५ । उ ७ । सु ५०२ | पृ० ६६२
इसी प्रकार छेदोपस्थापनीय चारित्र वाले संयति में छः लेश्या होती है ।
- परिहारविशुद्धि चारित्र वाले संयति में
१६९
परिहारविशुद्धिए जहा पुलाए ।
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- भग० श २५ । उ ७ सु ५०२ | पृ० ६६२
।
क - सूक्ष्म संपराय वाले संयति में
1
सुहुम संपराए जहा नियंठे ।
परिहारविशुद्धि चारित्र वाले संयति में तीन लेश्या - तेजो, होती है ।
— भग० श २५ | उ ७ । सू ५०२ | पृ० ६६२
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पद्म शुक्ललेश्या
— भग० श २५ । उ ७ । सू ५०२ | पृ० ६६२
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