________________
१६८
लेश्या-कोश पुलाक में तीन लेश्या होती है-~-यथा, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या, शुक्ललेश्या । ख-बकुस में एवं बउसस्स वि।
-भग० श २५ । उ ६ । सू ३७४ । पृ. ६४७ बकुस में पुलाक की तरह तीन लेश्या होती है । ग–प्रतिसेवना कुशील में एवं पडिसेवणाकुसीले वि।
-भग० श २५ । उ ६ । सू ३७४ पृ० ६४७ प्रतिसेवना कुशील में भी पुलाक की तरह तीन लेश्या होती है। · नोट-तत्त्वार्थ सूत्र के भाष्य में बकुस और प्रतिसेवना कुशील में छः लेश्या बताई है। बकुशप्रतिसेवनाकुशीलयोः सर्वाः षडपि ।
-तत्त्व० अ ९ । सू ४६ । भाष्य । पृ० ४३५ घ-कषाय कुशील में
कसायकुसीले पुच्छा। गोयमा ! सलेस्से होज्जा णो अलेस्से होज्जा, जइ सलेस्से होज्जा से णं भंते ! कइसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा! छसु लेस्सासु होज्जा, तं जहा-कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए।
-भग • श २५ । उ ६ । सू ३७५-३७६ । पृ० ९४७-६४८ कषाय कुशील में छः लेश्या होती है। नोट-तत्त्वार्थ भाष्य में कषाय कुशील में तीन शुभलेश्या बताई है।
-तत्त्व० अ६ । सूत्र ४६ । भाष्य । पृ० ४३५ ङ-निग्नन्थ में
नियंठे णं भंते ! पुच्छा। गोयमा! सलेस्से होजा, णो अलेस्से होजा। जइ सलेस्से होजा, से णं भंते! कइसु लेस्सासु होजा ? गोयमा ! एगाए सुक्कलेम्साए होजा ।
-भग० श २५ । उ६ । सू ३७७-३७८ । पृ. ६४८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org