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लेश्या-कोश स्निग्ध तथा खर बादर पृथ्वीकाय में कृष्णादि चार लेश्या होती है । .११.४ अपर्याप्त बादर पृश्वीकाय में
चार लेश्या होती है।
११.५ पर्याप्त बादर पृथ्वीकाय में
तीन लेश्या होती है।
'१२ अप्काय में
(क) भवणवइवाणमंतर - पुढविआउवणस्सइकाइयाणं च चत्तारि लेस्साओ।
-ठाण० स्था १ । उ १ । सू २०० । पृ० ४६६
(ख) आउवणस्सइकाइयाणवि एवं चेव ( जहा पुढविकाइयाणं)।
-पण्ण० प १७ । उ २ । सू १३ । पृ० ४३८
(ग) आउक्काइया x x x एवं जो पुढविक्काइयाणं गमो सो चेव भाणियव्वो।
-भग० श १७ । उ ३ । सू २१ । पृ० ७६३
(घ) असुरकुमाराणं चत्तारि लेस्साओ पन्नत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा नीललेस्सा, काउलेस्सा, तेउलेस्सा x x x एवं x x x आउवणस्सइकाइयाणं ।
-ठाण० स्था ४ । उ ३ । सू ३६६-७० । पृ० ६४०
अप्काय के जीवों में चार लेश्या होती हैं ।
(ङ) असुरकुमाराणं तओ लेस्साओ संकिलिट्ठाओ पन्नत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काऊलेस्सा x x x एवं पुढविकाइयाणं आउवणस्सइकाइयाणं वि ।
-ठाण ० स्था ३ । उ १ । सू ५६-६१ । पृ० ५४५ अप्काय में तीन संक्लिष्ट लेश्या होती है ।
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