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लेश्या-कोश १५.८ साधारण शरीर बादर वनस्पतिकाय में
तीन लेश्या होती है। पाठ नहीं मिला। १५.६ उत्पल आदि दस प्रत्येक बादर बनस्पतिकाय में
(क) ( उप्पलेव्वं एकपत्तए ) ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेसा ? नीललेसा ? काउलेसा ? तेऊलेसा ? गोयमा ! कण्हलेसे वा जाव तेउलेसे वा ? कण्हलेस्सा वा नीललेस्सा वा काऊलेस्सा वा तेउलेसा वा, अहवा कण्हलेसे य नीललेस्से य । एवं एए दुयासंजोगतियासंजोगचउक्कसंजोगेणं असीती भंगा भवंति ।
--भग० श ११ । उ १ । सू १२ । पृ० ४८६-८७ उत्पल जीव में चार लेश्या होती हैं। उत्पल का एक जीव कृष्णलेश्या वाला यावत् तेजोलेश्या वाला होता है। अथवा अनेक जीव कृष्णलेश्या वाले, नीललेश्या वाले होते हैं, अथवा एक कृष्णलेश्या वाला तथा एक नीललेश्या वाला होता है। इस प्रकार विकसंयोग, त्रिकसंयोग, तथा चतुष्कसंयोग से सब मिलकर अस्सी भांगे कहना। एक पत्री उत्पल वनस्पतिकाय में प्रथम की चार लेश्या होती है। एक जीव के चार लेश्या, अनेक जीवों के भी चार लेश्या के चार भांगे = कुल ८ भांगे। द्विकसं योग में एक तथा अनेक की चउ भंगी होती है। कृष्णादि चार लेश्या के छः द्विकसंयोग होते हैं। उसको पूर्वोक्त चउ भंगी के साथ गुणा करने से द्विकसंजोगी २४ विकल्प होते हैं । चार लेश्या के त्रिकसं योगी ८ विकल्प होते हैं। उनको पूर्वोक्त चउ भंगी के साथ गुणा करने से त्रिकसंयोगी के ३२ विकल्प होते हैं। तथा चतुष्कसंजोगी के १६ विकल्प होते हैं अतः सब मिलकर ८० विकल्प होते हैं।
(ख) ( सालुए एगपत्तए ) एवं उप्पलुद्देसगवत्तव्वया अपरिसेसा भाणियव्वा जाव अणंतखुत्तो।
-भग० श ११ । उ ४२ । सू ४२ । पृ० ४६० एक पत्री उत्पल की तरह एक पत्री शालुक को जानना ।
(ग) (पलासे एगपत्तए) लेसासु-ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेसा, नीललेसा, काऊलेस्सा ? गोयमा ! कण्हलेम्से वा नीललेस्से वा काऊलेस्से वा छब्बीसं भंगा, सेसं तं चेव । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
. --भग० श ११ । उ ३ । सू ४६ । पृ० ४६१
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